UP Government introduces modern education and NCERT syllabus in madarsas from new session: उत्तर प्रदेश के मदरसों में दीनी और मजहबी शिक्षा के साथ-साथ मॉर्डन एजुकेशन पॉलिसी लागू करने का सरकार का प्रस्ताव अब मदरसों में लागू कर दिया गया है. नए सत्र से बच्चे नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रम की भी पढ़ाई करेंगे.
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लखनऊ/ UP Government introduces modern education and NCERT syllabus in madarsas from new session: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद से मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव लाने की योजना अब पूरी होती दिख रही है. सरकार के आदेशों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड ने धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा प्रणाली को मदरसों में लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है. मदरसा शिक्षा परिषद के सद्र इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा, “मदरसा के बच्चे इस साल एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) के पाठ्यक्रम का भी मुतआला करेंगे. छात्रों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जाएगी.“ इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा, "नए शैक्षणिक सत्र में राजकीय मदरसों का फोकस 'आधुनिक’ शिक्षा पर ज्यादा रहेगा. अब मदरसे के बच्चे कंप्यूटर, गणित, विज्ञान की पढ़ाई भी कर सकेंगे. मदरसों के लिए नया सिलेबस मार्च में जारी किया जाएगा. केजी, एलकेजी और यूकेजी जैसी प्री-प्राइमरी कक्षाएं मार्च से शुरू होंगी.“
मुस्लिम पक्ष इस आधार पर करता रहा है विरोध
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के साथ ही योगी सरकार ने मदरसों में आधुनिक शिक्षा पद्धति लागू करने की बात करती आ रही है, ताकि वहां के छात्रों को भी धर्म के ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान परंपरा से जोड़ा जा सके. उन्हें रोजगार के लायक बनाकर स्कूलों के बच्चों के मुकाबले में खड़ा किया जा सके. सरकार इसमें गणित, विज्ञान और व्यावसायिक शिक्षा को भी लागू करना चाहती थी, जबकि मुस्लिम समुदाय के कुछ धार्मिक नेता सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध करते रहे हैं. मुस्लिम इसे सरकार की कोई साजिश मानकर विरोध करते रागे हैं कि सरकार इस्लामी शिक्षा व्यवस्था में दखल देकर इसे बर्बाद करना चाहती है. धार्मिक नेता इसे मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप मानते हैं, क्योंकि संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत इस बात की छूट दी गई है कि कोई भी अल्पसंख्यक या धार्मिक समूह अपनी पसंद का शैक्षणिक संस्थान स्थापित और उसका नियमन कर सकता है, और सरकार उसे फंड देने में किसी तरह का भेदभाव नहीं करेगी.
समर्थन में भी हैं कुछ मुसलमान
मदरसों में आधुनिक शिक्षा लागू करने का जहां एक तरफ कुछ मुसलमान विरोध करते रहे हैं और इसे धार्मिक मामला बताकर मदरसा शिक्षा व्यवस्था में सरकार का अनुचित हस्तक्षेप बताते रहे हैं, वहीं कुछ मुसलमान मदरसों में आधुनिक शिक्षा प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव का हमेशा से समर्थन करते रहे हैं. उनका मानना है कि मदरसों के सिलेबस में पिछले कई दशकों से कोई बदलाव नहीं किया गया है. सालों पुराना घिसा-पिटा सिलेबस पढ़ाया जा रहा है. शिक्षा क्षेत्र में नित नए बदलाव हो रहे हैं, नया रिसर्च हो रहा है, लेकिन मदरसों के बच्चे इसका लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं. दूसरी समस्या मदरसों में पढ़ाई का स्तर बेहद घठिया है, मौलाना अपनी मनमानी करते हैं, अगर यह सरकार के नियंत्रण में चला जाएगा तो मौलानाओं का निजी हस्तक्षेप और मनमानी समाप्त हो जाएगा. सरकार ने हाल में कहा था कि मदरसों में शिक्षक बहाली के लिए भी बीएड और टेट जैसी परीक्षाओं को अनिवार्य बनाया जाएगा, ऐसे में यहां मनमाने तरीके से होने वाली भर्तियों पर भी रोक लग जाएगी.
यूपी में शिक्षा आयोग का गठन करेगी योगी सरकार
वहीं, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार जल्द ही एक शिक्षा आयोग का गठन करने जा रही है. राज्य शिक्षा आयोग के गठन को लेकर मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक अहम बैठक की सदारत करने वाले हैं. सूत्रों ने कहा कि उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और बुनियादी शिक्षा को लेकर नए बदलाव और प्रारूप पर इस बैठक में चर्चा होगी.
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