Gopalganj News: मालिक की गलती की सजा भुगत रहे हैं दो बैल; थाने में बैलों ने छोड़ा खाना-पानी!
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Gopalganj News: मालिक की गलती की सजा भुगत रहे हैं दो बैल; थाने में बैलों ने छोड़ा खाना-पानी!

Gopalganj News:  गोपालगंज से हैरान करने वाली खबर सामने आई हैं, जहां उत्पाद विभाग की कस्टडी में पहुंचे दोनों बैलों ने खाना-पीना भी छोड़ दिया है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें. 

Gopalganj News: मालिक की गलती की सजा भुगत रहे हैं दो बैल; थाने में बैलों ने छोड़ा खाना-पानी!

Gopalganj News: बिहार के गोपालगंज जिला से हैरान करने वाली खबर सामने आई हैं, जहां उत्पाद विभाग की कस्टडी में पहुंचे दोनों बैलों ने खाना-पीना भी छोड़ दिया है. दरअसल, यह पूरा मामला बिहार के गोपालगंज जिले का है, जहां अपनी मालिक की गलती की सजा दो बैलों को भुगतनी पड़ रही है. उत्पाद विभाग के मालखाना परिसर में खड़े दोनों बैल मालिक की याद में खाना-पीना भी छोड़ चुके हैं. बताया जाता है कि 14 फरवरी को जादोपुर थाने के पतहरा बांध से बैलगाड़ी पर कार्टून में लदी हुई भारी मात्रा में शराब बरामद की गई थी.

बैलगाड़ी हो रहा था शराब की तस्करी
पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि धंधेबाज बैलगाड़ी से शराब की तस्करी कर रहे हैं. पुलिस को देख तस्कर बैलगाड़ी छोड़कर फरार हो गए. उत्पाद विभाग के जरिए जब्त बैलगाड़ी से 963 लीटर शराब बरामद की गई. बैलगाड़ी और दोनों बैलों को उत्पाद विभाग की टीम ने खुद से गाड़ीवान बनकर मालखाना लाया और उत्पाद स्पेशल कोर्ट में बैलों को पेश किया. अब इन बैलों को क्या पता था कि इनका मालिक इनसे कानून के विरुद्ध काम करवा रहा है. मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग की विशेष कोर्ट ने दोनों बैलों को देखने के बाद विभाग के अधिकारियों को जिम्मेनामा बनाकर किसी किसान को सौंपने को कहा है. 

उत्पाद विभाग के कस्टडी में हैं दोनों बैल
फिलहाल, दोनों बैल मालखाना परिसर में उत्पाद विभाग के कस्टडी में हैं. पुलिस के लिए सबसे परेशानी की वजह बैलों को रखने की है. बैलों को खिलाने-पिलाने की समस्या पुलिस के सामने है. बैल खा भी नहीं रहे हैं. उत्पाद विभाग के विशेष लोक अभियोजक रविभूषण श्रीवास्तव ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि बिहार मद्य निषेध कानून धारा-56 में ही जिक्र है कि ऐसे पशु वाहन या पशु, जिनका उपयोग शराब की ढुलाई में किया जा रहा है, उसे जब्त करना है.

नहीं कोई ले रहा है इनकी ज़िम्मेदारी
उन्होंने आगे कहा कि जिलाधिकारी को यह अधिकार दिया गया है कि प्रक्रिया पूरी कराते हुए ऐसे पशुओं को भी नीलाम किया जाए. नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने तक दोनों बैल जिम्मेनामा (ज़िम्मेदारी) पर किसी किसान को दिए जाएंगे या गौशाला में रखें जाएंगे. दूसरी तरफ किसान जिम्मेनामा लेने को तैयार नहीं हैं. उनका मानना है कि अगर वे बैल ले भी गए, तो उनसे काम नहीं ले सकेंगे और बैलों को कुछ हो गया तो अलग कानून से दिक्कत बढ़ेगी. फिलहाल, पुलिस किसी ऐसे किसान की तलाश में है जो इन बैलों का जिम्मेनामा ले सके.

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