Champai Soren joined BJP: झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने आज यानी 30 अगस्त को दामन थाम लिया है. इस दौरान कई बीजेपी के कद्दावर नेता मौजूद रहे. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
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Champai Soren joined BJP: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) छोड़ने के दो दिन बाद पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन शुक्रवार को यहां बीजेपी में शामिल हो गए हैं. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंत बिस्व शर्मा की मौजूदगी में सोरेन बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए. इस दौरान उनका जोरदार स्वागत किया गया, जिससे सोरेन कुछ समय के लिए भावुक भी हो गए.
बीजेपी को होगा फायदा
आदिवासी नेता (67)के बीजेपी में शामिल होने को राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इससे राज्य के अनुसूचित जनजाति वर्ग में बीजेपी को अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में बल मिलेगा. यह समुदाय झामुमो का मुख्य आधार रहा है.
जेएमएम के थे कद्दावर नेता
चंपई सोरेन को झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का सबसे निकट सहयोगी माना जाता था. चंपई सोरेन ने बुधवार को झामुमो छोड़ दिया था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की वर्तमान कार्यशैली और नीतियों ने उन्हें पार्टी को छोड़ने के लिए मजबूर किया है जिसकी उन्होंने कई सालों तक सेवा की है. अलग झारखंड राज्य के लिए 1990 हुए आंदोलन में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘झारखंड का टाइगर’ भी कहा जाता है.
साल के आखिर होना है चुनाव
झारखंड को 2000 में बिहार के दक्षिणी हिस्से से अलग करके बनाया गया था. झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के सबसे करीबी चंपई सोरेन का जन्म सरायकेला-खरसावां जिले में हुआ था. एक छोटे से गांव के रहने वाले, पिता के साथ खेतों में हल चलाने वाले चंपई सोरेन सियासी कद इतना बड़ा था कि शिबू सोरेन ने अपनी जगह किसी दूसरे नेता के बजाय चंपई सोरेन पर भरोसा जताया और झारखंड के 12वें सीएम के लिए नाम आगे किया.
हेमंत सोरेन ने पत्नी कल्पना की बजाय चंपई सोरेन को दी थी तरजीह
झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी के बाद पत्नी कल्पना की बजाय चंपई सोरेन को तरजीह देते हुए सीएम बनाया था. हालांकि उन्होंने पार्टी में "अपमान" का आरोप लगाते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया है. 1990 के दशक में अपनी भूमिका के लिए 'झारखंड टाइगर' के नाम से मशहूर चंपई सोरेन ने 18 अगस्त को निराशा जाहिर करते हुए सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा था, "इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया. क्या लोकतंत्र में इससे अधिक अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक सीएम के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? बैठक (तीन जुलाई को विधायक दल की बैठक) के दौरान, मुझे इस्तीफा देने के लिए कहा गया. मैं हैरान रह गया. चूंकि मुझे सत्ता की कोई इच्छा नहीं थी, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया. हालांकि, मेरे स्वाभिमान को बहुत ठेस पहुंची."
बता दें, राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस साल के आखिर में इलेक्शन होने हैं. अभी इलेक्शन कमीशन ने चुनाव का ऐलान नहीं किया है.