Islamic Knowledge: इस्लाम में बच्चों से प्यार करने की ताकीद की गई है. बच्चों से प्यार करने पर कई हदीसें हैं. यहां पेश हैं कुछ हदीसें.
Trending Photos
Islamic Knowledge: कंपटीशन के दौर में हर किसी पर दबाव है. अक्सर देखा गया है कि मां-बाप अपने बच्चों की शैतानियों से परेशान होते हैं और उन्हें मारते पीटते हैं. कई बार पढ़ाई में कंपटीशन को लेकर मां-बाप अपने बच्चों पर दबाव डालते हैं. दूसरे बच्चों से उनकी तुलना करते हैं और उन्हें मारते हैं. उत्तर प्रदेश में कई मदरसों से खबरें आई हैं कि मौलाना ने बच्चों को मारा. इसके बाद मौलानाओं पर मुकदमा भी दर्ज हुआ. कई मामलों में 'राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग' ने संज्ञान लिया है. लेकिन इस पर बारे बच्चों के डॉक्टरों की अलग राय है. उनका कहना है कि बच्चों को मारना दुरुस्त नहीं है. बच्चों को समझा-बुझा कर काम करना चाहिए. इस बारे में इस्लाम कहता है कि बच्चों के साथ नर्मी से पेश आना चाहिए.
इस्लाम में बच्चों से प्यार करने के बारे में बताया गया है. इस्लाम में इस बात की ताकीद की गई है कि बच्चों पर शफकत करो. इस्लाम में बताया गया है कि बच्चे अल्लाह की तरफ से आपको दिए गए तोहफे हैं. इस्लाम में बच्चों पर कुछ ही मौकों पर और कुछ शर्त के साथ जोर आजमाइश करने की बात कही गई है. हदीसों से यह बात जाहिर होती है कि प्रोफेट मोहम्मद स0 बच्चों से बहुत प्यार करते थे.
इस्लाम में जिक्र है कि अपने बच्चों पर रहम करो. अगर आप उन पर रहम नहीं करेंगे तो अल्लाह आप पर रहम नहीं करेगा. एक हदीस में जिक्र है कि प्रोफेट मोहम्मद स0 हजर इमाम हसन रजि0 को चूमा. इस पर एक शख्स ने कहा कि मेरे 10 बेटे हैं, लेकिन मैंने उनमें से किसी को नहीं चूमा. इस पर प्रोफेट मोहम्मद ने कहा कि "जो रहम नहीं करता उस पर रहम नहीं किया जाता."
एक जगह जिक्र है कि प्रोफेट मोहम्मद एक बार नमाज पढ़ रहे थे. इस दौरान उनकी गोद में उनकी नवासी थी. जब आप स0 कयाम करते तो नवासी को उठा लेते. जब आप स0 सजदा करते तो नवासी को नीचे उतार देते. एक बार प्रोफेट मोहम्मद अपने नवासे हजरत इमाम हसन रजि0 को कंधे पर उठाए हुए थे. आप स0 कह रहे थे कि ऐ अल्लाह मैं इससे मोहब्बत करता हूं, तू भी इससे मोहब्बत फरमा.
एक बार वाकिया है कि छोटे बच्चे प्रोफेट मोहम्मद स0 की बारगाह में लाए गए. आप स0 ने उन पर शफकत फरमाई. एक बच्चे ने आप स0 के कपड़ों पर पेशाब कर दिया. तो आप स0 ने पानी मंगवा कर उस पर बहा दिया और कपड़ों को नहीं धोया.
हजरत आइशा रजि0 फरमाती हैं कि एक देहाती अरब अल्लाह के रसूल स0 के पास आया. (आप स0 किसी बच्चे, शायद हसन रजि0 को प्यार कर रहे थे.) उसने कहा: आप लोग बच्चों से प्यार करते हैं. हम लोग तो ऐसा नहीं करते? आप स0 ने कहा: अगर अल्लाह ने बच्चों के साथ प्यार व मुहब्बत के जज्बे से तुम्हारे दिल को महरूम कर दिया तो मैं इसके लिए क्या कर सकता हूं? (हदीस: बुखारी मुस्लिम)