आज भी भारत में अंधविश्वास नाम पर दलित को किया जाता ये करने पर मजबूर
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आज भी भारत में अंधविश्वास नाम पर दलित को किया जाता ये करने पर मजबूर

देवीकेरा धार्मिक मेला 18 दिसंबर से दो दिनों के लिए होना है. जहां देवी दयमम्मा और पालकम्मा के लिए भैंसों का बलिदान दिया जाता हैं. इस मेले में दलितों को भैंस का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता है. 

आज भी भारत में अंधविश्वास नाम पर दलित को किया जाता ये करने पर मजबूर

Karnataka news: भले ही भारत ने आज कितनी भी तारक्की करली हो लेकिन आज भी कई जगह ऐसे रीति रिवाजों का चलन है जो समाज को शर्मसार कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है कर्नाटक से जहां परंपरा के नाम पर आज भी दलितों को भैंस का मांस खाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. राज्य दलित संघर्ष समिति (क्रांतिकारी इकाई) ने इसको रोकने के लिए जिला और पुलिस अधिकारियों के पास एक शिकायत दर्ज कराई है. 

क्या है पूरा मामला 

कर्नाटक के यादगार में आज भी एक ऐसी परंपरा चली आ रही है. जिसमें देवी-देवताओं को बलि दिए गए भैंसों का मांस खाने के लिए दलितों को मजबूर किया जा रहा है. राज्य दलित संघर्ष समिति (क्रांतिकारी इकाई) ने इसके खिलाफ जिला और पुलिस अधिकारियों के पास एक शिकायत दर्ज कर भैंसों का मांस खाने के लिए दलितों को मजबूर करने की परंपरा को रोक लगाने की मांग की है. दलित संघर्ष समिति के नेता ने बताया कि सुरपुरा तालुक के देवीकेरा गांव में धार्मिक मेले दौरान देवी-देवताओं को भैंसों की बली दी जाती है. इसी बली दिए गए जानवरों के मांस खाने के लिए दलितों को मजबूर किया जैता है, ऐसा ना करने पर उनको पूरे गांव के बहिष्कार का सामना करना पढ़ता हैं. दलित संघर्ष समिति के राज्य महासचिव मल्लिकार्जुन क्रांति ने  जिला आयुक्त और पुलिस अधीक्षक से मिलकर इसकी शिकायत दर्ज कराई है. 

कब से शुरु होना है मेला?

देवीकेरा धार्मिक मेला 18 दिसंबर से दो दिनों के लिए होना है. जहां देवी दयमम्मा और पालकम्मा के लिए भैंसों का बलिदान दिया जाता हैं. मल्लिकार्जुन क्रांति ने मीडिया को बताया कि अगर दलित समाज के लोग 10 से अधिक बलि दी गई भैंसों का मांस खाने से मना कर देते हैं, तो उन्हें गांव में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा. देवीराकेरा के आसपास के गांवों में भैंस की बलि देने का चलन है. दलित संघर्ष समिति ने जिला प्रशासन से हस्तक्षेप कर इस अंधविश्वास को खत्म करने का आग्रह किया है. आपको बता दें भैंस की बलि के बारे में सार्वजनिक घोषणाएंं की जाती हैं, और देवीराकेरा गांव में लोगों से चंदा किया जाता है.

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