Ibrahim Raisi Death: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी की शहादत हो गई. उनकी शहादत पर पूरी दुनिया में शिया मुस्लमानों में गम की लहर है. इसी के पेशे नजर मुंबई में 'इसना अशरी यूथ फाउंडेशन' की तरफ से एक शोक सभा का आयोजन किया गया.
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Ibrahim Raisi Death: हाल ही में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की शहादत हो गई. उनकी याद में 'इसना अशरी यूथ फाउंडेशन' की जानिब से मस्जिद ईरानी में 21 मई 2024 को नमाज़े-मग़रिब के बाद शोक सभा मुनाक़िद हुई. ताज़ियाती प्रोग्राम की इब्तिदा क़ारी मिर्ज़ा हसन की तिलावत-ए-क़ुरआन-ए-मजीद से हुई. मौलाना मोहम्मद फय्याज़ बाक़री ने पहली तक़रीर की और आयतुल्लाह रईसी की अहमियत पर रौशनी डाली कि वह न सिर्फ़ शिया मुसलमानों के लिए बल्कि पूरी मुस्लिम उम्मा के लिए अहम थे.
विलादत के दिन शहादत
मौलाना ज़की हसन ने आयतुल्लाह रईसी की शख़्सियत को बयान करते हुए कहा कि उन्होंने इंसानियत की ख़िदमत की, यही वजह है कि पूरी दुनिया आयतुल्लाह रईसी और उनके साथियों के लिए शोक मना रही है. इस ग्रुप में दो मुजतहिद शामिल थे जिन्होंने इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के यौमे विलादत के मुबारक दिन शहादत पाई.
रब के बुलावे पर कहा लब्बैक
मौलाना कुमैल असगर ने पुणे से अपनी तक़रीर का आग़ाज़ एक नज़्म से किया जिसमें उन्होंने आगा रईसी को ख़िराजे तहसीन पेश करते हुए कहा कि वह एक सितारा थे जो मशरिक़ से तलू हुआ और फिर मरकज़ में अपने पर निकाले और मगरिब में अपने रब के बुलावे पर लब्बैक कहा. आयतुल्लाह रईसी की शहादत ने पूरी दुनिया को ग़मगीन कर दिया है. हम शुक्रगुज़ार हैं कि हमारे मुल्क भारत ने भी एक रोज़ा सरकारी शोक का एलान किया है.
डॉक्टर डेविड अस्कंदरी ने आयतुल्लाह रईसी और डॉक्टर अमीर अब्दुल्लाहियान के किरदार को हमसाया ममालिक के साथ ताल्लुक़ात को मज़बूत करने में उजागर किया.
कमजोर नहीं होगी कौम
प्रोग्राम का इख़्तिताम मुंबई के सीनियर आलिम मौलाना सैयद हुसैन मेहदी हुसैनी की तक़रीर से हुआ, जिसमें उन्होंने शहादत की अहमियत पर रौशनी डाली. उन्होंने कहा कि लोग सोचते हैं कि सदर, वज़ीरे खारजा और दीगर अहम शख़्सियात की शहादत के बाद यह कौम कमज़ोर हो जाएगी. मैंने पहले ही कहा था कि राजाई और बाहोनर एक ही दिन शहीद हुए, बेहिश्ती और उनके 72 साथी एक ही दिन शहीद हुए, लेकिन इस्लामी जम्हूरिया मज़बूत रही. जब इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह रिहलत फरमा गए तो दुश्मन ख़ुश थे लेकिन इमाम ख़ामनाई ने साबित किया कि ईरान इस्लाम की वजह से खड़ा है. उन्होंने यह भी कहा कि दुश्मन सोचता है कि वह अहम लोगों को क़त्ल करके इंक़लाब को नुक़सान पहुंचा सकते हैं लेकिन इसके बरअक्स शहादत इस्लाम की कौम को मज़बूत करती है.
लोगों ने की शिरकत
प्रोग्राम में बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत की जिनमें अहम शख़्सियात भी शामिल थीं. इस्लामी जम्हूरिया ईरान के कल्चर हाउस के डायरेक्टर और दीगर उलमा जैसे मौलाना अज़ीज़ हैदर, मौलाना मोहम्मद करारवी, मौलाना आदिल, मौलाना यावर अब्बास, मौलाना शेख़ साबिर रज़ा और कई दीगर शख़्सियात भी मौजूद थीं.
लेखक- हाशिम रजा
यह लेखक के अपने विचार हैं.