विधायक तोड़ने का बुरा नहीं मानती है BJP; पार्टी नेता ने दिया ये गजब का तर्क !
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विधायक तोड़ने का बुरा नहीं मानती है BJP; पार्टी नेता ने दिया ये गजब का तर्क !

मणिपुर में जदयू के पांच विधायकों द्वारा पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार भाजपा पर भड़क गए हैं, ऐसे में भाजपा ने भी पलटवार करते हुए पूछ है कि उन्होंने जब कांग्रेस के विधायक और उनकी सरकार में सहयोगी राजद ने जब ओवैसी की पार्टी के चार विधायकों को राजद में शामिल कर लिया तो क्या वह पुण्य था ? 

 

विजय कुमार सिन्हा

लखीसरायः इस वक्त की राजनीति में भाजपा दूसरे पार्टियों के विधायकों को तोड़ने और दूसरे दलों की सरकारें गिराने को लेकर बदनाम है. हाल के मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के अनुभव के बाद दूसरे दल विधायकों की खरीद-ब्रिकी और अन्य प्रलोभन देकर भाजपा में शामिल करने से डरे रहते हैं. हाल में बिहार में भाजपा से अलग होकर राजद के साथ जदयू के नीतीश कुमार द्वारा सरकार बनाने के फैसले में भी कहीं न कहीं ये फैक्टर भी इसमें शामिल था.हालांकि, हमेशा दूसरे दलों के विधायकों को तोड़ने वाली भाजपा को नीतीश ने गच्चा देकर उसे सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिसे भाजपा पचा नहीं पा रही है. 
अभी हाल में मणिपुर में जदयू के पांच विधायक अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. इसके बाद जदयू और भाजपा अब खुलकर आमने-सामने आ गई है.  

नीतीश ने पूछा, यह क्या हो रहा है ?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मणिपुर में जदयू के विधायकों के भाजपा में शामिल कराए जाने के बाद भाजपा पर भड़क गए हैं. मणिपुर के विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद शनिवार को नीतीश कुमार ने कहा, ’यह क्या हो रहा है?’’ उन्होंने कहा, जरा सोचिए क्या हो रहा है. भाजपा अन्य पार्टियों से जीतने वाले विधायकों को कैसे तोड़ रही हैं? जनता देख रही है कि भाजपा क्या कर रही है?’’ इससे पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि अगर सभी विपक्ष एकजुट हो जाते हैं, तो 2024 के नतीजे बहुत अच्छे आ सकते हैं. 

नीतीश ने भी तोड़े हैं दूसरे दल के विधायकों को 
हालांकि मणिपुर मामले में नीतीश कुमार के बयान के बाद भाजपा ने भी पलटवार किया है. बिहार में भाजपा के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि नीतीश कुमार कहते हैं किसी पार्टी के जीतने वाले विधायकों को अपनी पार्टी में मिलाना लोकतंत्र का हनन है, ऐसा कर वे खुद को और अपने सहसोगी दल के प्रमुख लालू प्रसाद को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. सिन्हा ने कहा कि शनिवार को जब नीतीश कुमार पत्रकारों से बात कर रहे थे, तो उनके बगल में खड़े जदयू के मंत्री अशोक चौधरी भी कभी बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके थे. 

राजद ने भी तोड़े ओवैसी के चार विधायक 
सिन्हा यहीं नहीं रुके, उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा है कि अभी हाल ही आपके सहयोगी तेजस्वी यादव ने बिहार के सीमांचल से आने वाले एआईएमआईएम यानी ओवैसी की पार्टी के चार विधायकों का राजद में विलय कराया तो क्या वह सही था ? सिन्हा ने आगे कहा कि इससे पहले भी आपने जो दर्जनों विधायकों को लोजपा, बसपा, कांग्रेस, राजद से तोड़ा तो क्या वह सब पुण्य का काम था ? सिन्हा ने तंज कसते हुए कहा, ’’मुख्यमंत्री का दोहरा चरित्र पता नहीं चलता है. वे बयान भी बदलते रहते हैं और पाला भी.’’ 

भाजपा ने जदयू को दिखाया आईना 
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आज लगातार नीतीश कुमार का जनाधार घट रहा है. साल 2010 में जदयू की 115 सीट थी, 2015 में 70 पर आए और 2020 में 43 पर आ गए. उन्होंने दावा किया है कि साल 2025 में यह आंकड़ा इकाई में रह जाएगा. सिन्हा ने कहा कि नीतीश कुमार पर अब न जनता को विश्वास रहा, न जन प्रतिनिधियों को. वे सभी का विश्वास हासिल करने के बजाय भाजपा को कोसने में लगे हैं, लेकिन इससे उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा.
 

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