Azam Khan Case: दिग्गज नेता आजम खान के भड़काऊ भाषम मामले में अदालत की तरफ से कुछ ही देर में फैसला आने वाला है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट उनको राहत देते हुए योगी सरकार और चुनाव आयोग से सवाल पूछे थे.
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Azam Khan Case: सपा दिग्गज नेता आज़म खान को अदालत की तरफ से बड़ा झटका लगा है. दरअसल आज़म खान को हेट स्पीच मामले में मिली 3 साल की सज़ा पर रोक लगाने की मांग करने वाली अर्ज़ी को अदालत ने खारिज कर दिया गया गया. रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत के ज़रिए 27 अक्टूबर को नफरती बयान मामले में खान को मुजरिम करार देते हुए, 3 साल की सजा सुनाई थी. इसके कुछ ही देर बाद उनको जमानत भी मिल गई थी.
इसके अलावा विधानसभा स्पीकर की तरफ से उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी और रामपुर सीट को खाली ऐलान कर दिया था. इस सब के बाद आज़म खान ने देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रामपुर अदालत से आज़म खान की अर्ज़ी पर फौरन सुनवाई कर उसका निपटारा करने को कहा. साथ ही उसने खान की सदस्यता खत्म करने के अमल में तेजी को लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा पर भी सवाल खड़े किए थे.
इससे भी पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 7 नवंबर को योगी सरकार और इलेक्शन कमिशन को नोटिस जारी किया था. साथ ही सवाल किया था आखिर आज़म खान की सदस्यता इतनी जल्दी रद्द करने की क्या जरूरत थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि आखिर आजम खान को अयोग्य ठहराने की क्या जल्दी थी? आपको कम से कम उन्हें कुछ मोहलत देनी चाहिए थी.
चिदंबरम ने दी थी यह दलील
आज़म की खान की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए दिग्गज वकील पी चिदंबरम ने दलील दी थी कि मुज़फ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से भाजपा विधायक विक्रम सैनी (Vikram) भी मुजरिम करार दिए गए थे और दो साल की सज़ा भी दी गई थी. लेकिन भाजपा विधायक विक्रम सैनी पर अभी तक पर ऐसा कोई एक्शन नहीं लिया. चिदंबरम ने कहा कि आजम खान के मामले में जल्दबाजी दिखाते हुए रामपुर सदर सीट पर उपचुनाव के ऐलान पर चुनाव आयोग 10 नवंबर को गजट अधिसूचना जारी करने जा रहा है.
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