Sambhal की Shahi Masjid पर ओवैसी का बड़ा बयान, बाबरी मस्जिद का किया जिक्र
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Sambhal की Shahi Masjid पर ओवैसी का बड़ा बयान, बाबरी मस्जिद का किया जिक्र

Asaduddin Owaisi on Shahi Masjid Sambhal: एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने शाही मस्जिद को लेकर बयान दिया है. उन्होंने बाबरी मस्जिद का उदारण देते हुए बड़ा सवाल खड़ा किया है. पढ़ें पूरी खबर

Sambhal की Shahi Masjid पर ओवैसी का बड़ा बयान, बाबरी मस्जिद का किया जिक्र

Asaduddin Owaisi on Shahi Masjid Sambhal: संभल की शाही मस्जिद का मामला काफी तूल पकड़ा हुआ है. एआईएमआईएम अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि बाबरी मस्जिद फैसले ने हिंदुत्व ग्रुप को पूरे हिंदुस्तान में और ज्यादा मस्जिदों को निशाना बनाने के लिए प्रोत्साहित कर दिया है. दरअसल असदु्द्दीन ओवैसी का यह बयान संभल की शाही मस्जिद को लेकर आया है.

क्या बोले एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी?

अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर असदु्द्दीन ओवैसी ने लिखा,"यूपी के संभल के चंदौसी में शाही जामा मस्जिद के मामले को ही देखें. एप्लीकेशन पेश किए जाने के तीन घंटे के अंदर, सिविल जज ने मस्जिद की जगह पर शुरुआती सर्वे का आदेश दे दिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को तोड़ा गया था या नहीं."

बाबरी मस्जिद का दिया उदाहरण

ओवैसी ने आगे लिखा,"आवेदन एक वकील के जरिए दायर किया गया था जो सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का स्थायी वकील है. सर्वेक्षण उसी दिन किया गया था. इस तरह बाबरी के ताले भी अदालत के आदेश के एक घंटे के भीतर खोले गए, बिना दूसरे पक्ष को सुने."

असद आगे कहते हैं,"यह 'तेज़ी' आम मामलों में नहीं दिखाई जाती. अगर अदालतें ऐसे आदेशों का पालन करना जारी रखती हैं, तो पूजा स्थल अधिनियम सिर्फ़ एक मरा हुआ लेटर है. इस अधिनियम का मकसद ऐसे मुकदमों को पहले से ही अदालतों तक पहुंचने से रोकना था. एक मस्जिद जिसका इस्तेमाल सैकड़ों सालों से इस तरह किया जाता रहा है, उसे प्रेरित और सांप्रदायिक मुकदमों का विषय बनाया जा रहा है. अदालतों को इसे शुरू में ही रोकना चाहिए."

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संभल हाई अलर्ट पर बोले ओवैसी

ओवैसी उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जारी हाई अलर्ट पर अपना रिएक्शन दे रहे थे, जिसके बाद एक अदालत ने मंगलवार को चंदौसी स्थित शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. यह आदेश एक महंत की याचिका पर दिया गया था, जिन्होंने दावा किया था कि मस्जिद का निर्माण 1526 में एक मंदिर को तोड़कर किया गया था.

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शाही मस्जिद मामला

शाही मस्जिद मामले में दोपहर करीब डेढ़ बजे आवेदन दाखिल होने के तुरंत बाद सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह ने रमेश चंद राघव को निर्देश दिया कि वे मस्जिद स्थल पर प्रारंभिक सर्वेक्षण करें, ताकि पता लगाया जा सके कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को तोड़ा गया था या नहीं. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट 29 नवंबर तक दाखिल की जाए.

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