निठारी के नर पिशाच को राहत; कोर्ट ने किया बरी, एक की फांसी की सजा पर रोक
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निठारी के नर पिशाच को राहत; कोर्ट ने किया बरी, एक की फांसी की सजा पर रोक

Nithari accused Surender Koli and Moninder Sing Pandher Aqquited: उत्तर प्रदेश के नोएडा में साल 2006 में बच्चों को मारकर खाने का मामला प्रकाश में आया था. इस घटना के आरोपियों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौत की सजा पर रोक लगाते हुए एक आरोपी को बरी करने का ओदश दिया है. 

सह-अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंधेर और मुज्लिम सुरिंदर कोली (दाएं)

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सोमवार को दुनियाभर में कुख्यात होने वाले निठारी हत्याकांड (Nithari Case) जिसमें बच्चों को मारकर खाया गया था, के दो मुख्य आरोपियों को बरी कर दिया है.  अदालत ने मुज्लिम सुरिंदर कोली (urender Koli) को उसके खिलाफ 12 मामलों में बेकसूर पाया है, जबकि सह-अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंधेर (Moninder Sing Pandher) को उसके खिलाफ दो मामलों में बेकसूर पाया. इसके साथ ही कोली और पंढेर को दी गई मौत की सजा रद्द कर दी गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मुख्य आरोपी कोली अभी भी जेल में रहेगा जबकि सह आरोपी और उसका मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर जेल से रिहा हो जाएगा. 

हाल के भारतीय इतिहास में सबसे कुख्यात आपराधिक जांचों में से एक, निठारी हत्याकांड में साल 2006 में दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर में और उसके आसपास कई मानव हड्डियां पाई गई थी. उसके घर के आपसस के नागलियों में मानव कंकाल पाए गए थे. यह उन बच्चों के कंकाल थे, जो पिछले कुछ माह में उसी मोहल्ले से गायब हुए थे. 
इल्जाम लगाया गया था कि कोली बच्चों को मिठाइयाँ और चॉकलेट देकर फुसलाकर घर में बुला लेता था और उनकी हत्या करता था और लाशों के साथ यौन संबंध बनाता था. उन पर नरभक्षण का भी इल्जाम लगाया गया था. यानी उन बच्चों की हत्या और बलात्कार करने के बाद वह उनका मांस बनाकर खा जाता था. 

इस मामले के खुलासे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इस मामले में कोली और पंढेर की गिरफ्तारी हुई था, बाद में कोर्ट ने उन दोनों को कसरूवार पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. 

सुरिंदर कोली, जिस पर नोएडा के निठारी इलाके में बच्चों की बेरहमी से हत्या करने और बाद में कुल्हाड़ी मारने का इल्जाम था, को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था, और हत्या के लिए 15 फरवरी, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इसकी तस्दीक की थी. यह मानते हुए कि कोली “सीरियल किलर मालूम होता है" , अदालत ने कहा था, “उस पर कोई दया नहीं दिखाई जा सकती." कोली के खिलाफ कुल 16 मामले दर्ज किए गए थे और उनमें से बारह में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी.

कोली मोनिंदर सिंह पंढेर के यहां कार ड्राइवर की नौकरी करता था. कोर्ट ने कोली के नियोक्ता, मोनिंदर सिंह पंढेर को निठारी सिलसिलेवार हत्याओं से जुड़े कुछ मामलों में कसूरवार ठहराया था, और कुछ अन्य मामलों उसे बरी कर दिया गया था. पंढेर ने निचली अदालत द्वारा दो मामलों में दी गई मौत की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

पीड़ित परिवारों में नाराज़गी
सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह की फाँसी की सजा रद्द होने पर पीड़ित परिवारों में नाराज़गी. एक महिला जिसकी 15 साल की बेटी ग़ायब हुई उसने कहा कि हाथ जोड़ के प्रार्थना कि उन्हें वैसी ही सजा मिले जैसे हमारे बच्चों के साथ उसने किया था. उनकी फाँसी की सजा पर रोक ना लगे. पीड़िता ने बताया कि कैसे ग़ायब हुई थी उसकी बेटी. पीड़िता उनकी कोठी के सामने ही प्रेस की दुकान लगाती थी, जहां से उसके बच्चे गायब हो गए थे. 
गौरतलब है कि निठारी के डी-5 नंबर की जिस कोठी में ये वारदात हुई थी, उसके आसपास के इलाकों में बंगाल से आए मजदूर झुग्गियों में रहते हैं. उनके बच्चे वहीं आसपास खेलते थे, और उसे दोनों आरोपी आसानी से अपना शिकार बना लेते थे.

Zee Salaam

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