ज्ञानवापी मस्जिद के बाद सुर्खियों में है खंडवा का महादेव मंदिर, उदाहरण के तौर पेश की गई रिपोर्ट
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ज्ञानवापी मस्जिद के बाद सुर्खियों में है खंडवा का महादेव मंदिर, उदाहरण के तौर पेश की गई रिपोर्ट

ज्ञानवापी मस्जिद मामले के बाद खंडवा का शिव मंदिर सुर्खियों में है. इस मंदिर की कार्बन डेट निकाली गई. इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में इसको उदाहरण के तौर पर पेश किया गया.

ज्ञानवापी मस्जिद के बाद सुर्खियों में है खंडवा का महादेव मंदिर, उदाहरण के तौर पेश की गई रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद अभी सुर्खियों में है. इसके बाद खंडवा का महादेव गड़ मंदिर भी सुर्खियों में आ गया है. डवा के महादेव गढ़ मंदिर मंदिर का फैसला भी ASI के सर्वे के आधार पर हुआ था. ASI ने सर्वे और कार्बन डेटिंग कर इस शिव मंदिर को बारहवीं सदी का बताया था. इस मामले की जानकारी लेने ज्ञानव्यापी मस्जिद मामले में हिंदू धर्म के पक्षकार वकील विष्णु शंकर जैन भी 2 महीने पहले यहां पहुंचे थे. महादेव गढ़ मंदिर के संरक्षक का कहना है कि कार्बन डेटिंग के माध्यम से ज्ञानवापी मंदिर का मामला भी साफ हो जाएगा.

खंडवा का मंदिर सुर्खियों में

यह है खंडवा का महादेवगढ़ मंदिर. 12 वीं सदी में बना यह मंदिर समय के साथ अपना अस्तित्व खो चुका था. मंदिर के शिवलिंग के नजदीक कुछ लोगों ने भैंसों का तबेला बना रखा था. जब इस शिवलिंग के रखरखाव की बात सामने आई तो हाईकोर्ट में याचिका लगा दी गई. याचिकाकर्ता मो. लियाकत पवार ने तर्क दिया कि यहां कोई शिवलिंग नहीं है, उसके बावजूद हिंदू धर्म के अनुयाई यहां पूजा पाठ और उत्सव मनाते हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है. जिसे हटाया जाए. 

12वीं सदी का है खंडवा मंदिर

मामला कोर्ट में पहुंचा तो जिला प्रशासन से जवाब मांगा गया. तब जिला प्रशासन ने इसके प्राचीन होने का सर्वे पुरातत्व विभाग से करवाया. कार्यालय उपसंचालक पुरातत्व इंदौर के तकनीकी सहायक डॉ. जीपी पांडेय ने जांच के बाद 13 फरवरी साल 2015 को कलेक्टर कार्यालय को रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट के मुताबिक नगर के इतवारा बाजार में मौजूद कुंडलेश्वर महादेव का प्राचीन शिवलिंग 12वीं सदी का है. ए एस आई ने इसे परमार कालीन बताया. 

ज्ञानवापी मामले में दी गई कंडवा मंदिर की रिपोर्ट

लगभग 2 महीने पहले ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की पैरवी कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन खंडवा पहुंचे थे. उन्होंने महादेव गढ़ मंदिर के संरक्षक अशोक पालीवाल से एएसआई की रिपोर्ट प्राप्त की थी. बाद में उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया था कि जब एसआई खंडवा में शिवलिंग की जांच कर उसके ऐतिहासिक महत्व को बता सकता है तो ज्ञानवापी में क्यों नहीं? इस ट्वीट को हजारों लोगों ने लाइक किया था. अशोक पालीवाल का कहना है कि निश्चित ही खंडवा के महादेव गढ़ मंदिर की कार्बन डेटिंग के आधार पर तैयार की गई एएसआई की रिपोर्ट ज्ञानवापी मामले में भी एक आधार बन सकती है.

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