Indonesia News: पिछले साल इंडोनेशिया के वित्त मंत्री मुल्यानी इंद्रावती ने न सिर्फ स्कूली छात्रों बल्कि प्रेग्नेंट महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को भी लाभ पहुंचाने के लिए अपने मुफ़्त भोजन कार्यक्रम का विस्तार करने की सरकारी योजना का ऐलान किया था.
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Indonesia News: इंडोनेशिया ने आज यानी 6 दिसंबर को मुफ्त भोजन कार्यक्रम शुरू किया है. यह राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो और उपराष्ट्रपति जिब्रान राकाबुमिंग राका की अगुआई वाली सरकार की अपने नागरिकों के पोषण में सुधार के लिए एक प्रमुख पहल है. राष्ट्रीय पोषण एजेंसी के प्रमुख दादन हिंदयाना ने सोमवार को कहा, "हमारा लक्ष्य जनवरी से अप्रैल तक तीन मिलियन लाभार्थियों तक पहुंचना है."
उन्होंने जोर देकर कहा कि कार्यक्रम कई फेज लागू किया जाएगा. लोगों के बीच बेहतर वितरण सुनिश्चित किया जाएगा और वितरण की प्रक्रिया का मूल्यांकन किया जाएगा. पहले फेज में देश के 38 राज्यों में से 26 में शुरू किया जा रहा है, जिसमें सहायता प्राप्त करने वाले पहले समूह के रूप में स्कूली छात्रों को प्राथमिकता दी गई है. इसके बाद इसमें छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं शामिल होंगी.
न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने बताया, "इंडोनेशियाई राष्ट्रपति संचार कार्यालय के प्रमुख हसन नासबी ने बताया कि 26 राज्यों में भोजन उपलब्ध कराने के लिए वर्तमान में 190 रसोई चालू हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि कार्यक्रम जनवरी के आखिरी तक 937 रसोई का टारगेट हासिल कर लेगा, जिसका अंतिम लक्ष्य 2025 के अंत तक 5,000 रसोई बनाना है. यह दो करोड़ लाभार्थियों को सेवा प्रदान करने में सक्षम होंगी."
पिछले साल हुई थी मुफ्त भोजन की शुरुआत
पिछले अगस्त में, इंडोनेशिया के वित्त मंत्री मुल्यानी इंद्रावती ने न सिर्फ स्कूली छात्रों बल्कि प्रेग्नेंट महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को भी लाभ पहुंचाने के लिए अपने मुफ़्त भोजन कार्यक्रम का विस्तार करने की सरकारी योजना का ऐलान किया था. अगस्त 2024 के अंतिम सप्ताह में संसद के साथ एक सुनवाई के दौरान इंद्रावती ने कहा, "सरकार संसदीय गुटों से सहमत थी कि राज्य के बजट से वित्तपोषित मुफ़्त भोजन कार्यक्रम में गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को भी शामिल किया जाना चाहिए."
इंद्रावती ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य पोषण की पर्याप्तता में सुधार करना, बच्चों की बुद्धिमत्ता को बढ़ाना, बौनेपन को रोकना और देश में मानव संसाधनों की गुणवत्ता को बढ़ावा देना है. बौनेपन को रोकना सरकार की प्राथमिकता बनी हुई है, जिसने 2013 में इसके प्रसार को 37.2 फीसद से घटाकर 2023 में 21.5 फीसद कर दिया है.