Bangladesh News: बांग्लादेश में मुहम्मद युनूस की अगुआई वाली सरकार ने पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. आईसीटी ने गुरुवार देश की मुख्य धारा की मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अवामी लीग की नेता के भाषणों के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. ट्रिब्यूनल पूर्व पीएम के खिलाफ दर्ज मानवता के खिलाफ अपराध के अलग-अलग मामलों की सुनवाई शुरू करेगा.
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Bangladesh News: बांग्लादेश में तख्तापलट होने के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हुई है. देश में अल्पसंख्यकों खासकर हिन्दू समुदाय पर लगातार हमले जारी हैं. आलम यह है कि नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस की अगुआई वली सरकार के पास प्रेस फ्रीडम से जुड़ी चिंता भी खड़ी हो गई है.
दरअसल, भारत में रह रहीं पूर्व पीएम व अवामी लीग की नेता शेख हसीना के हालिया खिताब के बाद वहां के एक कोर्ट ने उनके भाषण के प्रसारण पर रोक लगा दी है. यह प्रतिबंध बांग्लादेश की अन्तर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने गुरुवार को लगाई है, जो शेख हसीना पर लगे ‘सामूहिक हत्या’ के मामलों की भी जांच कर रहा है. यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि ट्रिब्यूनल ने आखिर हसीना के खिलाफ ये फैसला क्यों लिया? पूर्व पीएम के किस भाषण को लेकर विवाद है, आइये जानते हैं......
ट्रिब्यूनल ने यह आदेश हसीना के हालिया भाषण के बाद लेकर दिया है, जो उन्होंने पांच अगस्त को देश छोड़ कर जाने के बाद दिया था. ये पूर्व पीएम का देश छोड़ने के बाद पहला सार्वजनिक भाषण भी था. अवामी लीग की नेता अपने खिताब में देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर तीखा हमला बोलते हुए उन पर ‘नरसंहार’ यानी सामूहिक हत्या और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था.
न्यूयॉर्क में हुए एक प्रोग्राम में अपने समर्थकों को ऑनलाइन जरिए से खिताब करते हुए हसीना ने यह दावा भी किया था कि उन्हें और उनकी बहन शेख रेहाना को मारने के लिए प्लान बनाया जा रहा है, ठीक उसी तरह जैसे 1975 में उनके पिता शेख मुजीब उर रहमान की हत्या की गई थी. इसी भाषण को लेकर ट्रिब्यूनल का यह आदेश दिया है.
आईसीटी के प्रोसिक्यूटर गाजी एमएच तमीम ने बताया, "ट्रिब्यूनल ने सभी प्रकार के मीडिया और सोशल मीडिया पर पूर्व पीएम शेख हसीना के किसी भी 'घृणास्पद' भाषण के प्रसारण, प्रकाशन और प्रसार पर प्रतिबंध लगा दिया है"
प्रदर्शन में सैकड़ों लोगों ने गंवाई जान
77 साल की हसीना को इस साल जुलाई व अगस्त में भारी विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद हुए विद्रोह के दौरान नरसंहार व मानवता के खिलाफ क्राइम के आरोपों में आईसीटी में दायर कम से कम 60 मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, शेख हसीना के पद से इस्तीफा देने और भारत आने से पहले प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों की तादाद में लोग मारे गए थे. इनमें ज्यादातर मौतें पुलिस की गोली से हुई थी. इसे लेकर शेख हसीना ने मुहम्मद युनूस पर आरोप लगाया था.
हसीना के किस भाषण पर विवाद?
अब ट्रिब्यूनल ने हसीना के हालिया भाषण पर यह कहते हुए रोक लगा दी है कि इसके भाषण से गवाह और पीड़ित पक्ष प्रभावित हो सकता है. ऐसे में, पूर्व पीएम के भाषण पर बैन लगाना जरूरी है. लेकिन ट्रिब्यूनल ने यह साफ नहीं किया कि हसीना का किस तरह और कौन सा भाषण ‘हेट स्पीच’ के दायरे में आएगा. वहीं, अभियोजन पक्ष की टीम ने हाल की परिस्थितियों के मद्देनजर बैन लगाने की मांग की थी, जिसके बाद जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अगुआई वाले तीन मेंबरों वाली ट्रिब्यूल ने ये आदेश सुनाया.
5 अगस्त से भारत में हैं शेख हसीना
हसीना भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान हुए विद्रोह के बाद पीएम पद से इस्तीफा देकर 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़कर भारत चली आई थीं. इसके तीन दिन बाद बांग्लादेश में मुहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ.
वहीं, दो महीने पहले यूनुस ने कहा था कि हसीना को बांग्लादेश में और ज्यादा जन आक्रोश पैदा करने से बचने के लिए बोलना बंद कर देना चाहिए. आईसीटी ने पिछले महीने जांच टीम को हसीना और अन्य लोगों के खिलाफ नरसंहार के आरोपों की जांच पूरी करने और 17 दिसंबर तक रिपोर्ट देने को कहा था.