Archaeological Survey of India: अदालत में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने अपील की है कि ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट को चार और हफ्ते तक सार्वजनिक न किया जाए. एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए और समय मांगा.
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Gyanvapi Survey Report: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अदालत से ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट को चार और हफ्ते तक सार्वजनिक न करने की अपील की है. यह जानकारी हिंदू पक्ष के वकील ने दी है. हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक, वाराणसी जिला अदालत के जस्टिस एके विश्वेश ने मामले को जुमेरात तक के लिए स्थगित कर दिया. एएसआई ने 18 दिसंबर को जिला अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद कैम्पस पर अपनी सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल की थी. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 17वीं सदी की मस्जिद की तामीर पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर की गई थी, जिसके बाद अदालत ने सर्वे का ऑर्डर जारी किया था.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में वाके ज्ञानवापी कैम्पस का वैज्ञानिक सर्वे किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद की तामीर हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर की गई थी या नहीं. सर्वे जिला अदालत के 21 जुलाई के हुक्म पर किया गया था जिसमें मस्जिद के गुंबदों, तहखानों और पश्चिमी दीवार के नीचे सर्वे की जरूरत का जिक्र किया गया था. इसमें कहा गया है कि एएसआई को इमारत की उम्र और प्रकृति का निर्धारण करने के लिए खंभों की भी जांच करनी चाहिए. अदालत ने एएसआई से यह यकीनी करने को कहा था कि मुतानाजा जमीन पर खड़े ढांचे को कोई नुकसान न हो.
ASI ने सील बंद लिफाफे में सर्वे की रिपोर्ट 18 दिसंबर को अदालत में जमा की थी. चार हिस्सों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सर्वे की स्टडी रिपोर्ट को अदालत में पेश किया था. रिपोर्ट की बुनियाद पर दावा किया जा रहा है कि ASI की स्टडी रिपोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद की हकीकत सबसे सामने आएगी. वजुखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी कैम्पस का सर्वे करने का हुक्म जिला जज की अदालत ने ही दिया था. अब इस मामले पर हिंदू फरीक के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी का बयान आया है. जिसमें उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी कैम्पस का 92 दिन सर्वेक्षण हुआ था और उस सर्वे की रिपोर्ट दाखिल की कराई जा चुकी है.