UCC के विरोध में ओवैसी ने उठाया बड़ा कदम, मुस्लिम संगठनों के फैसले से करेंगे काम
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UCC के विरोध में ओवैसी ने उठाया बड़ा कदम, मुस्लिम संगठनों के फैसले से करेंगे काम

Muslims on UCC: जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने UCC की वकालत की है तब से मुस्लिम संगठन इसके खिलाफ मुखर हो गए हैं. अब ओवैसी ने गैर भाजपा सरकारों से इसके विरोध की अपील की है.

UCC के विरोध में ओवैसी ने उठाया बड़ा कदम, मुस्लिम संगठनों के फैसले से करेंगे काम

Muslims on UCC: देश में अभी समान नागरिक संहिता (UCC) लागू नहीं हुआ है. लेकिन देश के कई तबके ऐसे हैं जो इसका विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वालों में मुसलमान भी शामिल हैं. मुसलमानों की सबससे बड़ी तंजीम जमीयत उलमा-ए-हिंद ने ऐलान किया है कि वह 14 जुलाई शुक्रवार को होने वाली नमाज पर 'यौम-ए-दुआ' (दुआ का दिन) की जाएगी. उधर ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी UCC के खिलाफ गैर भाजपा सरकारों से UCC का विरोध करने की अपील की है. 

KCR से मिले ओवैसी

सोमवार को आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के मु्ख्यमंत्री चंद्रशेखर राव से मुलाकात की और UCC का विरोध करने की अपील की. उन्होंने KCR से मुलाकात के बाद कहा कि "UCC हमारे लिए अच्छी बात नही है. आज AIMPLB के सभी मेंबर और तेलांगना के मुस्लिम संगठनों के हेड ने सीएम से मुलाकात की. हमने गुजारिश की कि बीजेपी की तरफ से जो UCC लाने की बात कही जा रही है, BRS को उसका विरोध करना चाहिए."

ओवैसी ने की अपील

ओवैसी ने आगे कि कहा, "हमने सीएम को याद दिलाया कि पिछले 10 साल से उनकी सरकार है. प्रदेश में 10 साल में अमन चैन बढ़ा है. CAA का रेसोलेशन विधानसभा में पास कराया. UCC हमारे लिए अच्छी बात नही है. AIMPLB बोर्ड ने 74 पेज का नोट दिया है. भाजपा इस देश के सेकुलरिज्म को खत्म कर देना चाहती है."

हिंदुओं को भी होगी दिक्कत

AIMIM के अध्यक्ष ने कहा, "ये मसला ईसाई और ट्राइबल से भी जुड़ा है. ये हिंदू भाइयों के लिए भी अच्छा नहीं होगा. ये मुल्क के लिए ठीक नहीं है. भारत के पीएम pluralism को पसंद नही करते. भाजपा सभी दूसरी चीजों पर नाकाम रही है इसलिए ऐसा कर रही है."

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने की मीटिंग

इस सिलसिले में जमीयत उलेमाए हिंद ने एक अहम मीटिंग की. इसमें तय हुआ कि "समान नागरिक संहिता (UCC) के ताल्लुक से मुस्लिम समुदाय के सर्वसम्मत रुख से अवगत कराने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों के अध्यक्षों के नाम पत्र लिखा जाए. इसके साथ ही भारत के राष्ट्रपति से भी मिलने की कोशिश की जाए."

बनाई ठोस रणनीति

बैठक में यह भी फैसला किया गया कि "विभिन्न दलों से संबंध रखने वाले मुस्लिम और गैर-मुस्लिम संसद सदस्यों को इकट्ठा कर उनसे चर्चा की जाए. इसके साथ ही उन्हें संसद में समान नागरिक संहिता के नकारात्मक प्रभावों पर आवाज उठाने के लिए सहमत किया जाए."

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