जिन पार्टियों ने किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं किया है उसमें AIMIM और AIUDF हैं. आइए जानते हैं कि इन दोनों के साथ किसी पार्टी ने गठबंधन क्यों नहीं किया.
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आम चुनाव से पहले तमाम दल इसकी तैयारी में जुट गए हैं. भाजपा ने 38 दलों के साथ गठबंध कर लिया है, तो वहीं कांग्रेस ने 26 दलों के साथ गठबंधन किया है. इसके साथ ही बीजद, वाईएसआर जैसे दलों ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लेकिन कुछ ऐसे भी दल हैं जो गठबंधन में आने को तैयार थे लेकिन न तो कांग्रेस ने और न ही भाजपा ने उनके साथ गठबंधन किया है.
AIMIM
सबसे पहले बात करते हैं असदुद्दीन औवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की. कयास लगाए जा रहे थे कि वह कांग्रेस के साथ जा सकते हैं लेकिन अब उन्होंने अलग मोर्चा बनाने की बात कही है. यह पार्टी मुसलमानों की रहनुमाई का दावा करती है. ओवैसी भी मुसलमानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. साल 2019 में पार्टी को 2 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी.
विपक्षी दलों में AIMIM के शामिल नहीं होने की बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि ओवैसी मुसलमानों के मुद्दों पर बहुत मुखर रहते हैं. अगर वह विपक्षी दलों के साथ आते तो भाजपा इसे भुनाती. कुछ क्षेत्रीय पार्टियों का मानना है कि AIMIM भाजपा की बी टीम है.
AIUDF
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की असम में अच्छी पकड़ है. 2019 में पार्टी ने एक लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी. मौलाना बदरुद्दीन अजमल इसके फाउंडर हैं. पार्टी को 2014 के चुनाव में 3 लोकसभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. यह पार्टी भी मुसलमानों के हक के लिए बात करने का दावा करती है.
गठबंधन में क्यों नहीं हुई शामिल?
भाजपा से AIUDF का तो कोई चांस नहीं लेकिन कांग्रेस को डर है कि अगर उसने गठबंधन किया तो उसे बदरुद्दीन अजमल को ज्यादा सीटें देनी पड़ेंगी. क्योंकि अजमल अपनी शर्तों पर गठबंधन करेंगे. इसकी वजह यह है कि उन्होंने 2019 में 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसके अलावा विधानसभा चुनावों में 20 सीटों के में से 16 पर जीत दर्ज की थी.
जनता दल सेक्युलर
जनता दल सेक्युलर के कार्यकारी अध्यक्ष एचडी कुमारास्वामी का एक बयान खूब चर्चा में है. उन्होंने कहा है कि हमें न तो विपक्ष ने पूछा है और न ही एनडीए से कोई न्योता मिला है. बता दें कि इस पार्टी का जनाधार केरल और कर्नाटक में है. यह पार्टी कई बार कर्नाटक में किंग मेकर साबित हो चुकी है. पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने साल 1999 में इस पार्टी की नींव रखी थी. 1996 में देवगौड़ा को जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री बनाया गया था.
क्यों नहीं मिला न्योता
विपक्षी दलों में जेडीएस इसलिए शामिल नहीं हो सकी क्योंकि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्र येदियुरप्पा ने कहा था कि वह जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. इसलिए विपक्षी दलों ने जेडीएस से दूरी बना ली. हालांकि दिल्ली में हुई एनडीए की मीटिंग में जेडीएस को नहीं बुलाया गया. बीजेपी का मानना है कि कर्नाटक मे जेडीएस को ज्यादा सीटें देनी पड़ेंगी.