69 का नरसंहार: 22 साल से वीरान गुलबर्ग सोसाइटी में पहली बार किसी के हाथों में सजी मेंहदी
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69 का नरसंहार: 22 साल से वीरान गुलबर्ग सोसाइटी में पहली बार किसी के हाथों में सजी मेंहदी

Mehndi Celebration in Gulberg Society: 2002 के गुजरात दंगों के दौरन अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी (Gulberg Society) में 69 लोगों का नरसंहार कर दिया गया था. जिंदा बचे लोग सोसाइटी छोड़कर चले गए. इसके बाद वहां कभी किसी ने कोई खुशियां नहीं मनाई.. 

Misbah, Photo credit: Indian Express

अहमदाबादः  गुजरात का गोधरा कांड (Godhra Riots) मुल्क के माथे पर लगा वह बदनुमा दाग है, जिसे दुनिया भर का पानी और डिटरजेंट भी साफ नहीं कर सकता. देश दुनिया में जब कभी सांप्रदायिक दंगों की बात होगी, लोग 2002 में गोधरा में साबरमती ट्रेन (Sabarmati Train) में आगजनी और इस घटना के एक दिन बाद हुए इंसानों के क़त्ल-ओ -गारत को याद कर सिहर उठेंगे. इन दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी (Gulberg Society) में 69 लोगों को मार दिया गया था. मारे गए लोगों में एक कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी और उनका परिवार भी था. इस सोसाइटी में एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी अकेली जिंदा बची शख्स थी, जिन्होंने बाद में इस नरसंहार के लिए मुकदमा लड़ा. 

इस नरसंहार में मारे गए लोगों के लगभग 64 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया था, और इस तरह जकिया जाफिरी की इंसाफ की आखिरी लड़ाई ने सुप्रीम अदालत के चौखट पर दम तोड़ दिया था. 
लोग बताते हैं कि गुलबर्ग सोसाइटी में 69 लोगों के नरसंहार के बाद ये सोसाइटी एक वीरान खंडर में तब्दील हो गया था. यहां की फिजाओं में नफरत, अविश्वास, और भय ने मानों अपना कब्जा जमा लिया था. नरसंहार के सालों बाद भी यहां एक अजीब-सी खामोशी और सन्नाटा पसरा रहता है. कई लोगों ने यहां रहना छोड़ दिया. जिसने रहने की हिम्मत की खुशियां उनसे हमेशा के लिए रूठ गई...

पिछले 22 सालों में यहां के बचे लोगों ने न कोई जश्न मनाया न कभी किसी खुशी का इज्हार किया.. लेकिन 22 साल बाद इस सोसाइटी में रौनक लौटी है. 22 सालों में पहली बार यहां रहने वाले एक शख्स के घर में उनकी बेटी की शादी हो रही है. यहां मेहमानों की गहमा-गहमी हैकृफिल्मी गीत बज रहे हैंकृतरह-तरह के पकवान बन रहे हैं.  

दरअसल,  गुलबर्ग सोसाइटी में रहने वाले रफीक की 19-वर्षीय बेटी मिस्बाह की शादी है. सोमवार को रफीक के घर ‘हल्दी’ की रस्म मनाई जा रही थी. इस कार्यक्रम में रीफक मंसूरी के परिवार के कई सदस्य, उनके दोस्त, पूर्व पड़ोसी और परिचित उनके घर जमा हुए थे. 

मंसूरी ने बताया, ‘‘22 वर्षों में पहली बार गुलबर्ग सोसाइटी में किसी प्रोग्राम का आयोजन हुआ है, और उससे हमें खुशी मनाने का मौका मिला.’’ रफीक ने उदास चेहरा बनाकर बताया, ’’मैंने इस नरसंहार में अपने परिवार के 19 सदस्यों को खो दिया था. इस हादसे के बाद बाकी बचेखुचे लोग यहां से चले गये.’’

सोमवार को मंसूरी का घर मेहमानों, रिश्तेदारों और परिचितों से खचाखच भरा हुआ था. उनकी बेटी के मेंहदी की रस्म के मौके पर बॉलीवुड गानों पर मेहमान डांस कर रहे थे और लजीज खानों का लुत्फ उठा रहे थे. शादी की रस्म बुधवार को मध्य प्रदेश के बरवानी में होनी है. सोमवार के मेहंदी की रस्म के बाद सभी मेहमान बरवानी चले गए. मंसूरी ने कहा, ‘‘मिस्बाह मेरे तीन बच्चों में सबसे बड़ी है. उसकी एक छोटी बहन और एक भाई भी है. चूंकि परिवार में यह पहली शादी है, इसलिए हमने गुलबर्ग सोसाइटी में ही एक कार्यक्रम करने का फैसला किया था.’’
 
जब गुजरात में 2002 में सांप्रदायिक दंगा हुआ था तब रफीक मंसूरी की उम्र 30 साल थी. रफीक ने बताया कि वह अकेले ऐसे शख्स हैं, जो नरसंहार के बाद भी गुलबर्ग सोसाइटी में रह रहे थे, जबकि बाकी सभी लोगों ने इस जगह पर रहना छोड़ दिया था. इस सांप्रदायिक दंगे में रफीक मंसूरी ने अपने परिवार के 19 सदस्यों को खो दिया था, जिनमें उनकी पत्नी, बेटा और दीगर रिश्तेदारों के बच्चे भी शामिल थे.

क्या हुआ था उस दिन ? 
गौरतलब है कि साल 2002 में 28 फरवरी को एक खून की प्यासी भीड़ ने मुस्लिम बहुल गुलबर्ग सोसाइटी पर हमला कर दिया. इस हमले में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों को मार डाला गया. इस नरसंहार से एक दिन पहले ही गोधरा स्टेशन स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में कथित तौर पर एक साजिश के तहत आग लगा दी गयी थी, जिसमें 58 कारसेवकों की जान चली गयी थी. जून, 2016 में एक स्पेशन कोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी मामले में 24 लोगों को कसूरवार ठहराया था, और उनमें से 11 को उम्रकैद की सजा दी थी. इस मामले में 36 लोग आरोपों से बरी कर दिए गए थे. जून, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी की अर्जी खारिज कर दी थी, जिसमें 2002 के गुजरात दंगा मामले में 64 लोगों को क्लीनचिट दिए जाने को चुनौती दी गई थी.

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