नवंबर का पेट कैंसर महीने इस अनदेखी स्वास्थ्य चिंता के बारे में जागरूकता बढ़ाता है और जल्दी पता लगाने पर ज़ोर देता है. संक्रमण, धूम्रपान और पारिवारिक इतिहास सहित जोखिम कारकों के साथ, लक्षणों को समझना ज़रूरी है. हर एक माध्यम से, इस महीने का उद्देश्य पेट के कैंसर के खिलाफ लड़ाई में उज्जवल भविष्य के लिए नियमित जांच के बारे में जानकारी देना और बढ़ावा देना है.
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नई दिल्ली: पेट का कैंसर, जिसे गैस्ट्रिक कैंसर के नाम से भी जाना जाता है. इसे अक्सर लोग नज़रंदाज़ कर देते हैं. लेकिन इसको लेकर लोगों के बीच बेदारी लाने के लिए नवम्बर में पेट कैंसर जागरुकता महीना मनाया जाता है. इस महीने में इस बीमारी के बारे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जाती है और उन्हें जागरूक किया जाता है. आज हम इस बिमारी के सभी पहलु पर बात करेंगे.
क्या है पेट का कैंसर?
पेट का कैंसर, जिसे गैस्ट्रिक कैंसर भी कहा जाता है, पेट की परत में विकसित होता है, इसमें आँतों में असामान्य कोशिकाएं पैदा हो जाती है.अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक, पेट का कैंसर बड़े लोगो में ज़्यादा आम है. इसकी पहचान ज़्यादातर 68 साल के लोगों में होती है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पेट का कैंसर होने की संभावना ज़्यादा होती है.
क्यों होता है पेट का कैंसर ?
कई तत्व हैं जो पेट के कैंसर के विकास में योगदान कर सकते हैं. धूम्रपान, पेट के कैंसर का पारिवारिक इतिहास, आपकी डाइट इसका मुख्य कारण माना जाता है.
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया भी इसके संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है.
लक्षण और निदान
पेट के कैंसर के लक्षण सूक्ष्म हो सकते हैं, जिसकी वाजह सेअक्सर इसे देर से पहचाना जाता है. सामान्य लक्षणों में पेट में दर्द या बेचैनी, उल्टी, पाचन क्रिया का खराब होना, मल के साथ खून आना, अनजाने में वज़न कम होना, निगलने में कठिनाई और लगातार जी मचलना जैसे लक्षण इसमें प्रकट हो सकते हैं. लंबे समय तक परेशानी का अनुभव होने पर एक व्यक्ति को जल्द से जल्द एक डॉक्टर को दिखाना चाहिए. पेट के कैंसर के निदान में आम तौर पर पारिवारिक इतिहास, एंडोस्कोपी प्रोसीजर, इमेजिंग टेस्ट्स, और फिजिकल एग्जामिनेशन से डॉक्टर इसका पता लगाते हैं.
उपचार का विकल्प
पेट के कैंसर का उपचार उस स्टेज पर निर्भर करता है जिस पर इसका निदान किया गया है. इसके उपचार में ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियो थेरेपी और
टार्गेटेड ड्रग थेरेपी का सहारा लिया जा सकता है.