इलाके में रहता है AQI 400 पार, इस कभी न ठीक होने वाली बीमारी के हो सकते हैं शिकार
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इलाके में रहता है AQI 400 पार, इस कभी न ठीक होने वाली बीमारी के हो सकते हैं शिकार

Air Pollution Causes Diabetes: राजधानी दिल्ली और आस-पास के इलाकों में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है. हवा जहरीली हो गई है, जिससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. चौंका देने वाली बात यह है कि सांस की बीमारियों के साथ ही प्रदूषण टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ गया है. 

इलाके में रहता है AQI 400 पार, इस कभी न ठीक होने वाली बीमारी के हो सकते हैं शिकार
हवा में प्रदूषण का बढ़ता स्तर जानलेवा होता जा रहा है. जहरीली हवा से बचने का कोई रास्ता नजर नहीं आता दिख रहा है. पॉल्यूशन का बढ़ता स्तर सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है. प्रदूषण के कारण अस्पतालों में सांस के मरीजों की भीड़ लगी है, तो वहीं अस्थमा और लंग्स कैंसर का रिस्क भी बढ़ा है. साथ ही खराब हवा के कारण हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ गया है. इसके साथ ही एक रिसर्च लोगों की चिंता बढ़ा रहा है. इसके अनुसार प्रदूषण के कारण लोग डायबिटीज तक के शिकार हो रहे हैं. 
 

डायबिटीज क्या है और कितने तरह के होते हैं?

डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी एक बीमारी है. इसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है. आईसीएमआर के अनुसार, इंडिया में 10 करोड़ से अधिक डायबिटीज के मरीज हैं. डायबिटीज दो तरह के होते हैं. एक टाइप 1- जो जेनेटिक कारण से होती है. दूसरा टाइप 2- जो खराब लाइफस्टाइल और खानपान में गड़बड़ी के कारण होती है. मोटापा, फिजिकल एक्टिविटी में कमी, गलत डाइट जैसे कई कारणों से डायबिटीज होते हैं, लेकिन बढ़ता प्रदूषण भी अब इसका कारण बन गया है.
 

कैसे प्रदूषण डायबिटीज को प्रभावित कर रहा है?

थेराप्यूटिक एडवांसेज इन एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म द्वारा की गई एक स्टडी में यह पाया गया है कि पॉल्यूशन लोगों में डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है. प्रदूषक तत्व जैसे पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शरीर में शुगर लेवल को कंट्रोल करने की क्षमता पर असर डाल रहे हैं. ये प्रदूषक खून में मिल जाते हैं, जिससे इंसुलिन रजिस्टेंस होता है और डायबिटीड टाइप 2 होने का खतरा बढ़ जाता है.
 

हवा में बढ़ता पीएम 2.5 ब्लड में शुगर लेवल को बढ़ा सकता है.

हवा में जितना ज्यादा पीएम 2.5 होता है, ब्लड में शुगर का लेवल भी उतना बढ़ जाता है. प्रदूषण में पीएम 2.5 होता है, जिसके छोटे-छोटे कण फेफड़ों में जाकर जम जाते हैं. ये शरीर में इंसुलिन रजिस्टेंस को बढ़ाते हैं. वहीं प्रदूषण में मौजूद ओजोन भी सांस की नली पर दबाव डालती है. इस तरह से प्रदूषक तत्व डायबिटीज का खतरा बढ़ा रहे हैं.
 

प्रदूषण से कौन-कौन से बीमारियों का खतरा बढ़ा-

थेराप्यूटिक एडवांसेज इन एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म की स्टडी के अनुसार AQI 400 के पार होने पर सबसे ज्यादा डायबिटीज का रिस्क बढ़ता है. साथ ही प्रदूषण सांस की बीमारियां जैसे अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस का कारण भी बन रही है. वहीं इससे आंखों की समस्यां जैसे पानी आना, आंखों में लालीपन हो सकता है.

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