Karnataka: 109 झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल, स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्रवाई
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Karnataka: 109 झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल, स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्रवाई

क्लीनिकों को चेतावनी दी गई कि यदि वे आवश्यक ऑथराइजेशन के बिना काम करना जारी रखेंगे तो उन पर क्रिमिनल केसेस दर्ज किए जाएंगे.

 

Karnataka: 109 झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल,  स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्रवाई

अधिकारियों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने लोकल अथॉरिटी के साथ मिलकर कलबुर्गी जिले (Kalaburagi district) में संदिग्ध बिना लाइसेंस वाले क्लीनिकों पर छापेमारी की, जिसके कारण 43 फर्जी क्लीनिक बंद हो गए और 109 फर्जी डॉक्टर उजागर हुए.

जानें कितने फर्जी डॉक्टरों की हुई पहचान?

कलबुर्गी जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ रथिकान्त स्वामी ने एचटी को बताया, पिछले एक महीने में हमने अपने कर्मचारियों के जरिए निश्चित सुरागों के बाद छापेमारी शुरू की और 109 फर्जी डॉक्टरों की पहचान की और 43 क्लीनिकों को सील कर दिया. “हम रिकॉर्ड को डिप्टी कमिश्नर की अध्यक्षता वाली जिला शिकायत निवारण समिति (डीजीआरसी) के समक्ष रखेंगे. उन्होंने कहा, ''आपराधिक मामला दर्ज किया जाए या जुर्माना लगाया जाए या कोई अन्य कार्रवाई की जाए.''

स्वामी ने कहा, स्वास्थ्य विभाग ने तहसीलदार और पुलिस की मदद से छापेमारी की, जिसका उद्देश्य उन लोगों पर नकेल कसना था जो फर्जी तरीके से खुद को योग्य चिकित्सा पेशेवर बताकर मरीजों की जान को खतरे में डाल रहे थे.

अधिकारियों ने कहा कि फर्जी डॉक्टर, जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में झोलाछाप डॉक्टर कहा जाता है, राज्य के कई हिस्सों में एक गंभीर मुद्दा बन गए हैं. कलबुर्गी में पहचाने गए व्यक्ति कथित तौर पर कर्नाटक निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान (केपीएमई) अधिनियम के तहत आवश्यक अनुमति के बिना मरीजों का इलाज कर रहे थे. इन फर्जी डॉक्टरों की इलीगल एक्टिविटी के बारे में रिलायबल इंफॉर्मेशन मिलने के बाद अधिकारियों ने छापेमारी की.

जिला स्वास्थ्य अधिकारी अवामी ने क्या कहा?

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "इन अनधिकृत (अनऑथराइज्ड) चिकित्सकों की कार्यप्रणाली में आम तौर पर स्थापित मेडिकल क्लीनिकों में सहायक या कंपाउंडर के रूप में काम करना शामिल होता है, जहां उन्हें बुनियादी चिकित्सा प्रक्रियाओं, नुस्खे पैटर्न और सामान्य दवाओं के प्रशासन का अनुभव मिलता है." इसके बाद, ये व्यक्ति अनधिकृत (अनऑथराइज्ड) तरीकों से फर्जी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (आरएमपी) सर्टिफिकेट प्राप्त करते हैं.'

अधिकारी ने कहा, एक बार जब इन लोगों को आरएमपी सर्टिफिकेट मिल जाता है, तो वे क्लिनिक खोलते हैं और खुद को योग्य डॉक्टर के रूप में पेश करते हैं, और बिना सोचे-समझे मरीजों के भरोसे का फायदा उठाते हैं.

जिला स्वास्थ्य अधिकारी अवामी ने कहा, “स्वास्थ्य विभाग ने केपीएमई की अनुमति के बिना संचालित पाए गए क्लीनिकों को नोटिस जारी किया है. उन्हें चेतावनी दी गई कि यदि वे आवश्यक अनुमति के बिना काम करना जारी रखेंगे तो उन पर आपराधिक मामले दर्ज किए जाएंगे,”

 

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