Covid-19 rise in India-केंद्र सरकार ने अस्पतालों के लिए यह निर्धारित करने के लिए गाइडलाइन्स जारी किए हैं कि किसी मरीज को आईसीयू एडमिशन की ज़रुरत है या नहीं. क्रिटिकल केयर मेडिसिन विशेषज्ञता वाले 24 प्रतिष्ठित डॉक्टरों की एक समिति ने इस गाइडलाइन्स को ज़ारी किया गया है.
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Government issued guidlines for ICU- देश में कोविड के बढ़ते मामलों को मद्देनजर रखते हुए केंद्र सरकार ने अस्पतालों के लिए इन गाइडलाइन्स को जारी किया है. इन गाइडलाइन्स में इन बातों का ज़िक्र है कि किस मरीज को आईसीयू में इलाज की आवश्यकता है या नहीं. क्रिटिकल केयर मेडिसिन विशेषज्ञता वाले 24 प्रतिष्ठित डॉक्टरों की एक समिति ने इन दिशानिर्देशों को बनाया है जिसमे परिवर्तित चेतना( altered consiousness), महत्वपूर्ण अंतःक्रियात्मक (significant intraoperative complications), अपेक्षित बिगड़ती स्थितियां(expected worsening conditions) और व्यापक निगरानी की आवश्यकता वाली गंभीर तीव्र बीमारियां(severe acute illnesses requiring extensive monitoring.) जैसे मुद्दे शामिल हैं.
कुछ मेडिकल कंडीशन, जैसे "चेतना का परिवर्तित स्तर (altered level of consciousness)या मरीज को रेस्पिराट्री सपोर्ट की आवश्यकता है या नही जैसे कारणों को शामिल किया गया है. इसके अलावा आईसीयू देखभाल की सलाह उन मरीजों को दी गई है, जिन्हें कोई महत्वपूर्ण इन-ऑपरेटिव कॉम्प्लिकेशनस (intraoperative complications) हैं, जिनकी मेडिकल स्थिति सर्जरी के बाद खराब होने की आशंका है, या जिन्हें गंभीर बीमारी है, जिनके लिए व्यापक निगरानी की आवश्यकता होती है.आईसीयू देखभाल की आवश्यकता वाले मरीजों की सूची में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है जिनके पास जीवित वसीयत( living will) या आईसीयू देखभाल के खिलाफ उन्नत निर्देश(advanced directive against ICU care), सूचित इनकार(informed refusal), उपचार सीमा योजना वाली बीमारी(sickness with a treatment limitation plan), या निरर्थकता के चिकित्सा निर्धारण के साथ एक लाइलाज बीमारी है(terminal illness with a medical determination of futility).
ज़ारी गाइडलाइन्स के अनुसार, अगर किसी मरीज की तबियत नार्मल हो जाती है या अब तबियत में इतनी सुधार हो चुकी है जहां आईसीयू की ज़रूरत होती है, तो उन्हें आईसीयू से जेनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाना चाहिए. अगर मरीज या परिवार पेलेटिव देखभाल के लिए आईसीयू से छुट्टी देने या उपचार को सीमित करने के विकल्प पर सहमति देता है, तब भी आईसीयू से शिफ्ट करने की भी सलाह दी गयी है.
सरकार की ओर से ज़ारी गाइडलाइन्स ये निर्धारित करते हैं कि सभी स्पेशल देखभाल विशेषज्ञ, जिन्हें गहन देखभाल विशेषज्ञ भी कहा जाता है, उनके पास गहन देखभाल इकाइयों में गंभीर रूप से बीमार रोगियों के प्रबंधन में विशेष प्रशिक्षण, मान्यता और व्यावहारिक अनुभव है.
ख़ास कर जब स्टाफिंग की बात आती है तो उन्हें आसानी से सभी सुविधाएं मौजूद होनी चाहिए. वैकल्पिक रूप से, इस बात का भी सुझाव दिया गया है कि आईसीयू में देखभाल करने वाले, व्यापक गहन देखभाल अनुभव वाले एमबीबीएस स्नातक होने चाहिए . जिन्हें कम से कम तीन साल की गहन देखभाल इकाई के अनुभव हो. गहन देखभाल इकाई में कम से कम आधा समय आईसीयू में व्यतीत होता.
भारत में लगभग 1 लाख आईसीयू बेड हैं, जिनमें से ज्यादातर प्राइवेट अस्पतालों में हैं और बड़े शहरों में स्थित हैं. अधिवक्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल का कहना है , "गरीब लोग जो प्राइवेट अस्पतालों का खर्च नहीं उठा सकते, उन्हें आईसीयू बिस्तर पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है." “मरीजों को उनकी स्थिति के आधार पर आईसीयू देखभाल के लिए प्राथमिकता देने का विचार आपदा की स्थिति के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन आमतौर पर, सरकार को सभी को महत्वपूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए.