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The Kashmir Files: 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर लगातार कंट्रोवर्स जारी है. गोवा फिल्म फेस्टिवल में इस्राइली फिल्म मेकर नादव लापिड ने फिल्म को प्रोपेडेंगा पर आधारित और वल्गर करार दिया. जिसके बाद विवाद शुरू हो गया. अनुपम खेर और डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने नादव के बयान की आलोचना की. वहीं गोवा फिल्म फेस्टिवल की जूरी मेंबर सुदिप्तो सेन ने लापिड के इस बयान को व्यक्तिगत बता दिया. जिसके बाद कहा जा कहा जा रहा है कि तीन जूरी मेंबप लापिद के समर्थन में आ गए हैं.
नादव लापिड ने गोवा फिल्म फेस्टिवल के दौरान दी कश्मीर फाइल्स की काफी आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि यह फिल्म फिल्म फेस्टिवल की गरिमा के खिलाफ है. नादव ने कहा था कि हमने यह महसूस किया है कि फिल्म प्रोपेगेंडा बेस्ड है और साथ ही वल्गर भी है. अब इस मामले को लेकर दूसरे जूरी भी समर्थन में आ गए हैं.
एक इंटरव्यू के दौरान संपादक पास्कल चावांस ने कहा कि 'यह साफ है कि एक प्रोपेगेंडा फिल्म है. मुसलमानों को बिना कसी भेदभाव के मॉन्सटर्स के तौर पर पेश किया गया है. वहीं जर्नलिस्ट जेवियर अंगुलो बारटुरेन ने कहा कि 'नादव लापिड ने जो कहा मैं उससे बिलकुल सहमत हूं, क्योंकि यह जूरी में मौजूद सभी मेंबर्स की राय थी. इन दोनों के अलावा जूरी मेंबर्स में बाफ्टा विनर निर्माता जिन्को गोटोह और फिल्म निर्माता सुदीप्तो सेन भी शामिल थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शनिवार को तीन जूरी मेंबर्स ने कहा कि वह लापिड के बयान से समर्थन में हैं. केवल सुदीप्तो सेन हैं जो कह रही हैं कि लापिड का बयान व्यक्तिगत है. एक संयुक्त बयान जारी करते हुए तीन जूरी मेंबर्स ने कहा कि 'हम सबी 15वीं फिल्म द कश्मीर फाइल्स से परेशान और हैरान थे. यह एक भद्दी प्रोपेगेंडा फिल्म की तरह लगी. हम लापिड के उस बयान का समर्थन करते हैं.
नादव लिपिड ने कहा था कि हम सब फिल्म कश्मीर फाइल्स से काफी शॉक्ड हैं. यह हमें प्रोपेगेंडा और एक वल्गर फिल्म की तरह महसूस हुई. यह फिल्म इस फिल्म फेस्टिवल के आर्टिस्टिक कॉम्पिटीशन के लिए आयोग्य है. मैं ये भावनाएं आपके साथ शेयर करते हुए पूरी तरह से सहज हूं.
Chair of the Jury of Goa Film Festival says that the Jury felt that Kashmir Files was a vulgar propaganda film, inappropriate for the film festival pic.twitter.com/FKTF93ZlRY
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) November 28, 2022