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Shammi Kapoor Special: आज फिल्मी दुनिया के दिग्गज कलाकार शम्मी कपूर की पुण्य तिथि है. बता दें कि शम्मी कपूर और कश्मीर का शुरू से गहरा नाता रहा है तभी तो दुनिया को अलविदा कहने के बाद भी कश्मीर की वादियों में समा दिया गया यानि उनकी अस्थियों को डल झील में बहाया गया था.
ज़मीन पर जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर और बॉलीवुड का रिश्ता काफी पुराना है. 1949 में आई राज कपूर की फिल्म ‘बरसात’ से लेकर ‘बजरंगी भाईजान’ और हाल ही में रिलीज़ हुई. ‘कश्मीर फाइल्स’ तक की शूटिंग यहां हो चुकी है.
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शम्मी कपूर ने कश्मीर में इतनी फिल्मों और गानों की शूटिंग की थी कि वह यहां काफी मशहूर हो गए थे, यहां तक कि एक वक्त था ऐसा था जब उन्हें कश्मीर का ब्रांड एम्बैसेडर माना जाने लगा था. आज भी कई शिकारा चलाने वाले ऐसे मिल जाएंगे जो बताते हैं कि उनके पिताजी या दादाजी के वक्त पर शम्मी कपूर उनकी हाउसबोट पर रहा करते थे. शम्मी कपूर को कश्मीर से बहुत लगाव था, इसलिए जब उन्होंने 14 अगस्त 2011 को दुनिया से अलविदा कहा तो उनके अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को ले जाकर उनकी आखिरी ख्वाहिश को भी पूरा किया गया.
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शम्मी कपूर के बाद लगभग 60 के दशक में कश्मीर में कई हिट फिल्मों की शुटिंग हुई, जिसमें- 'जंगली', 'जानवर', 'कश्मीर की कली', 'जब जब फूल खिले', 'आरज़ू' शामिल हैं. इतना ही नहीं, यहां बॉलीवुड के कई मशहूर गाने भी बने जैसे- शम्मी कपूर का 'तारीफ़ करूँ क्या उसकी', अमिताभ बच्चन का 'देखा एक ख़्बाव तो ये सिलसिले हुए', 'जय जय शिव शंकर' गुलमर्ग में शूट हुए थे. यश चोपड़ा ने भी स्विट्ज़रलैंड में शूटिंग करने से पहले कश्मीर में ही अपनी फिल्म कभी-कभी की शूटिंग की थी.
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