12 हज़ार का मंगल सूत्र लूटने का 18 साल चला मुकदमा; फिर भी मुलजिम शेख हो गया बरी
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12 हज़ार का मंगल सूत्र लूटने का 18 साल चला मुकदमा; फिर भी मुलजिम शेख हो गया बरी

Robbery of Mangalsootra: यह मामला महाराष्ट्र के ठाणे जिले का है, जहाँ 2001 में एक महिला से 'मंगलसूत्र' की लूट हो गयी थी. 23 साल बाद, अदालत ने ठाणे में डकैती के आरोपी 4 लोगों को बरी कर दिया, जबकि एक मुल्जिम की मुक़दमे की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Robbery of Mangalsootra: महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 2001 के एक डकैती मामले में मुलजिम 43 वर्षीय शख्स को उसके खिलाफ अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए इल्जामों से बरी कर दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रेमल एस विठलानी ने 18 नवंबर को दिए अपने फैसे में कहा कि अभियोजन पक्ष मुल्जिम मोहम्मद साजिद और इलियास शेख के खिलाफ इलज़ाम साबित करने में नाकाम रहा है, जिसे संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए, और इसलिए उसे बरी किया जाना चाहिए. 18 साल की लंबी सुनवाई के बाद फैसले की एक कॉपी सोमवार को मिली, मुल्जिम पर मंगलसूत्र छीनने का इलज़ाम था.  

 गौरतलब है कि मुल्जिम मोहम्मद साजिद और इलियास शेख पर इलज़ाम था कि 3 जुलाई, 2001 को ठाणे जिले के कलवा इलाके में चाकू की नोक पर छाया राजन घाडगे नामी एक खातून को लूट लिया था. उनमें से एक ने कथित तौर पर चाकू लहराया, उसे धमकाया और उसका 12,000 रुपये का 'मंगलसूत्र' (शादीशुदा  महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला पवित्र हार) लूट लिया. महिला के पड़ोसियों की दखल अंदाजी के बाद हमलावर वहां से भाग गए.

अभियोजन पक्ष ने मुलजिमों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 394 (डकैती) और 397 (गंभीर चोट पहुंचाने की कोशिश के साथ डकैती) के तहत इलज़ाम लगाए. जांच के दौरान, शेख और तीन अन्य आरोपियों की पहचान की गई, और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. पिछले साल उनमें से दो को बरी कर दिया गया था, जबकि एक की मौत हो गई, जिससे उसके खिलाफ मामला खत्म हो गया.

 मुकदमे के दौरान, मोटरसाइकिल, चाकू और सोने की चेन की जब्ती जैसे प्रमुख सबूत अदालत के सामने पेश किए गए. हालांकि, महत्वपूर्ण दस्तावेजों जैसे ज्ञापन बयानों और पंचनामा (मौके पर निरीक्षण) पर हस्ताक्षरों की कमी सहित महत्वपूर्ण कमियां सामने आईं. इसके अलावा, मुबैयना तौर पर चेन खरीदने वाले सुनार की जांच नहीं की गई. सबूतों की समीक्षा करने के बाद, अदालत ने फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपना मामला साबित करने में नाकाम  रहा. परिणामस्वरूप, शेख को सभी इलज़ामात से बरी कर दिया गया और मामला बंद कर दिया गया.

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