Cricket: रियल लाइफ का 'इकबाल' है कश्मीर का आमिर; दोनों हाथ से है महरूम लेकिन बल्ले से लगाता है चौका और छक्का!
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Cricket: रियल लाइफ का 'इकबाल' है कश्मीर का आमिर; दोनों हाथ से है महरूम लेकिन बल्ले से लगाता है चौका और छक्का!

Amir Hussain Lone: जम्मू-कश्मीर के रहने वाले आमिर हुसैन ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिसे देखकर हर कोई उन्हें सलाम कर रहा है. वो दिव्यांग क्रिकेटर हैं लेकिन विरोधी गेंदबाजों की क्लास जमकर लगाते हैं.

 

Cricket: रियल लाइफ का 'इकबाल' है कश्मीर का आमिर; दोनों हाथ से है महरूम लेकिन बल्ले से लगाता है चौका और छक्का!

Amir Hussain Lone Story: कहते हैं अगर आपके के अंदर कुछ कर गुजरने का जूनून और जज्बा है, तो आप अपने सामने चट्टान जैसी खड़ी मुश्किलों को भी दरकिनार कर अपने मंजिल को एक दिन पा लेते हैं. ऐसी ही एक कहानी देश के सबसे खूबसूरत राज्य जम्मू-कश्मीर से आई है. जम्मू-कश्मीर के रहने वाले आमिर हुसैन ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिसे देखकर हर कोई उन्हें सलाम कर रहा है.आमिर के दोनों हाथ नहीं रहने के बावजूद भी वो क्रिकेट खेल रहे हैं. खास बात यह है कि वो अपनी टीम के कप्तान भी हैं. 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, "अमिर जम्मू-कश्मीर पैरा क्रिकेट टीम की अगुआई भी कर रहे हैं. दिव्यांग क्रिकेटर आमिर वाघमा गांव के रहने वाले हैं और वो साल 2013 से पेशेवर क्रिकेट खेल रहे हैं.आमिर को पढ़ाने वाले एक टीचर ने उनके अदंर क्रिकेट के टैलेंट को पहचाना था, जिसके बाद उनके टीचर ने आमिर को पैरा क्रिकेट से रूबरू कराया".  क्रिकेटर आमिर की कहानी हमें हिंदी फिल्म के 'इकबाल' के किरदार की याद भी दिलाती है, जिसमें एक गूंगे और बहरे लड़के को एक कामयाब क्रिकेटर बनते दिखाया गया था. 

जानकारी के मुताबिक आमिर ने अपने दोनों हाथ महज़ 8 साल की उम्र मिल दुर्घटना में गंवा दिए थे. दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद भी आमिर बल्लेबाजी करने के लिए बैट को कंधे और गर्दन की मदद से पकड़ते हैं. इसके अलावा वे गेंदबाजी करने के लिए अपने पैरों का इस्तेमाल करते हैं. आप वीडियो में नीचे देख सकते हैं वो किस तरह से बल्लेबाजी कर रहे हैं. 

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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आमिर ने कहा
महज 8 साल की उम्र में दोनों हाथ गंवाने के बाद भी आमिर नाउम्मीद नहीं हुए है.उसे अपने मेहनत पर पूरा यकीन था कि वो एक दिन वो कर दिखाएंगे जिसे हर आदमी देखकर सलाम करेंगे. आमिर ने मीडिया को बताया,  "हादसे के बाद मैंने उम्मीद नहीं हारी और जमकर कड़ी मेहनत की. मैं किसी पर भी निर्भर नहीं रहता हूं और मैं खुद से सबकुछ कर सकता हूं. हादसे के बाद मेरी तरफ किसी ने भी मदद का हाथ नहीं बढ़ाया.यहां तक की सरकार ने भी मेरी किसी भी तरह मदद नहीं की, लेकिन मेरा परिवार हमेशा मेरे कंधे से कंधे मिलाकर साथ  दिया. अल्लाह का बहुत शुक्रगुजार हूं कि मैं आज क्रिकेट की वजह से पहचाना जाता हूं ."    

 

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