कोटा के DM ने छात्रों को लिखी चिट्ठी; कहा- "PMT में हम भी हुए थे फेल, फिर बन गए IAS"
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2230119

कोटा के DM ने छात्रों को लिखी चिट्ठी; कहा- "PMT में हम भी हुए थे फेल, फिर बन गए IAS"

Kota News: कोटा में पढ़ने वाले कई बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं. ऐसे में यहां के जिलाधिकारी ने बच्चों के नाम खत लिखा है. उन्होंने बताया है कि वह भी कई बार फेल हुए हैं.

 

कोटा के DM ने छात्रों को लिखी चिट्ठी; कहा- "PMT में हम भी हुए थे फेल, फिर बन गए IAS"

Kota News: विद्यार्थियों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कोटा के जिलाधिकारी डॉ. रविंदर गोस्वामी ने बच्चों और उनके माता पिता को खत लिखा है. रविंदर गोस्वामी ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) की तैयारी करने वाले छात्रों को बताया है कि कई साल पहले प्री-मेडिकल टेस्ट (PMT) में वह कैसे नाकाम हुए थे. 

गलतियां सुधारने का मौका
IAS अधिकारी बनने से पहले गोस्वामी एमबीबीएस डॉक्टर (MBBS) थे. गोस्वामी ने मंगलवार को लिखे खत में कहा कि नाकामी सुधार करने और उसे सफलता में बदलने का एक मौका है. उन्होंने अभिभावकों से गुजारिश की कि वे अपने बच्चों को उनकी गलतियां सुधारने का मौका दें और बच्चों की खुशी को परीक्षा में प्राप्त अंकों से न जोड़ें. 

इम्तेहान आखिरी मकसद नहीं
उर्दू के शायर साहिर लुधियानवी की एक शायरी का हवाला देते हुए गोस्वामी ने विद्यार्थियों को 'प्रिय बच्चों' कहते हुए अपना संबोधन शुरू किया. उन्होंने कहा कि नाकामी शख्स को जिंदगी में की गई गलतियों पर काबू पाने और नाकामी को कामयाबी में बदलने का मौका देती हैं. जिलाधिकारी ने कहा कि इम्तेहान जिंदगी का महज एक पहलू है. यह आखिरी मकसद नहीं है और यह किसी की जिंदगी की दिशा निर्धारित नहीं कर सकती.

PMT में हुए फेल
जिलाधिकारी ने कहा, "मैं इसका उदाहरण हूं. मैं भी PMT में फेल हो गया था." उन्होंने छात्रों को लिखे खत में कहा, "हम केवल कड़ी मेहनत कर सकते हैं और यह भगवान पर निर्भर है कि वह हमें फल प्रदान करे. अगर वह हमें कामयाब बनाता है, तो ठीक है, लेकिन अगर वह हमें नाकाम बनाता है, तो इसका मतलब है कि वह हमारे लिए दूसरा रास्ता बना रहा है." 

माता पिता को लिखा खत
गोस्वामी ने लिखा, "आप महान भारत के महान बच्चे हैं और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए महज एक इम्तेहान को आखिरी इम्तेहान नहीं माना जा सकता." उन्होंने बच्चों को लिखे अपने खत का अंत यह कहते हुए किया कि अगर कोई चलता है, तो गिरता है, लेकिन यह तभी सार्थक है जब कोई गिरकर उठता है और मकसद हासिल करने की सिम्त में आगे बढ़ता है. इसी तरह माता-पिता को एक अलग पत्र में जिलाधिकारी ने अपने बच्चों को सभी सुविधाएं प्रदान करने में उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की. उन्होंने माना कि उनकी ख़ुशी उनके बच्चों की ख़ुशी में निहित है, लेकिन उन्होंने कहा कि समस्या तब खड़ी होती है, जब बच्चों की ख़ुशी इम्तेहान में में मिले नंबरों से जुड़ी होती है.

Trending news