Mulethi farming: हिमाचल प्रदेश के इन जिलों में होगी मुलेठी की पैदावार, किसानों को मिलेगा भरपूर लाभ
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Mulethi farming: हिमाचल प्रदेश के इन जिलों में होगी मुलेठी की पैदावार, किसानों को मिलेगा भरपूर लाभ

Himachal pradesh news: मुलेठी की फायदे और इसकी उपयोगिता को देखते हुए अब इसकी पैदावार हिमाचल प्रदेश में की जाएगी, जिसके लिए हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. 

 

Mulethi farming: हिमाचल प्रदेश के इन जिलों में होगी मुलेठी की पैदावार, किसानों को मिलेगा भरपूर लाभ

विपन कुमार/धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में पहली बार मुलेठी की पैदावार होने जा रही है. देश में संगठित रूप से भी पहली बार मुलेठी उत्पादन की शुरुआत होगी. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी (सीएसआइआर-आइएचबीटी) संस्थान पालमपुर इसकी कवायद का सूत्रधार बनने जा रहा है. औषधीय गुणों के कारण हर घर तक अपनी पहुंच बनाने वाली मुलेठी की अभी तक हिमाचल में पैदावार नहीं होती थी. अभी तक पंजाब और हिमालयी क्षेत्रों में ही इसकी खेती की जाती है, लेकिन यह असंगठित रूप से नहीं होती है. ऐसे में अब देश में पहली बार संगठित रूप से मुलेठी की पैदावार की जाएगी. 

देश में कम है मुलेठी की पैदावार
गौरतलब है कि मुलेठी खांसी, गले की खराश, उदरशूल क्षयरोग, श्वास नली की सूजन और मिरगी आदि के उपचार में उपयोगी होती है. देश में आयुर्वेदिक औषधियों और घरेलू उपचार के रूप में मुलेठी का बड़े स्तर पर उपयोग किया जाता है, लेकिन इसकी पैदावार मांग और आपूर्ति के अनुपात में काफी हद तक कमी देखी जाती है. एक आंकड़े के अनुसार, लगभग 8 हजार टन मुलेठी प्रतिवर्ष बाहरी देशों से आयात की जाती है. ऐसे में मुलेठी के लिए देश न केवल दूसरे उत्पादक देशों पर निर्भर है, बल्कि देश पर आर्थिक भार भी पड़ रहा है. 

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दूसरे देशों से आयात होती है आठ हजार मुलेठी
सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि मुलेठी इतनी महत्वपूर्ण होते हुए भी हमारे देश में इसका संगठित रूप से उत्पादन नहीं होता है. हर साल आठ हजार टन मुलेठी दूसरे देशों अफगानिस्तान, नेपाल और चीन से आयात होती है. हमारे देश में मुलेठी के लिए जलवायु उपयुक्त है. संस्थान पिछले काफी वर्षों से इस पर शोध भी कर रहा था, जिसमें पाया गया कि हिमाचल प्रदेश की कुछ जगहों पर मुलेठी का उत्पादन हो सकता है. इस कार्य को बढ़ाने के लिए संस्थान मुलेठी की सही किस्म लेकर आया है. 

इन जिलों में होगी मुलेठी की खेती
वहीं, सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिक डॉ. सतवीर सिंह ने कहा कि मुलेठी एक ऐसा पौधा है जो कई बीमारियों के इलाज में लाभकारी होता है. ऐसे में संस्थान मुलेठी पर कई वर्षों से शोध कर रहा था, जिसमें पाया गया कि हिमाचल के जिला ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, सिरमौर और सोलन में इसकी पैदावार की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इस सीजन से किसानों को मुलेठी के पौधे वितरित किए जाएंगे. 

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डॉ. सतवीर सिंह ने कहा कि मुलेठी की जड़ें थोड़ी मीठी होती हैं. इसकी उपयोगिता के कारण इसे कैंडी, टोबैको प्रोडक्ट और हर्बल मेडिसिन में मिठास के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा पारंपरिक दवाइयों में भी इसका भरपूर उपयोग किया जाता है. इसकी अनुमानित आय एक हेक्टेयर से लगभग दो लाख रुपये तक प्राप्त हो सकती है. 

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