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Delhi News: लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने 28वें महानिदेशक के रूप में सीमा सड़क संगठन (BRO) की बागडोर संभाल ली है. बता दें, भारत की सीमाओं को सुरक्षित करने और देश के उत्तर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के दूरदराज के इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 7 मई 1960 को बीआरओ की स्थापना की गई थी.
स्थापना के बाद से बीआरओ ने 63,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों, 976 पुलों, 6 सुरंगों और 21 हवाई क्षेत्रों का निर्माण कर राष्ट्र को समर्पित किया है. पिछले एक साल में ही बीआरओ ने आठ सीमावर्ती राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 5400 करोड़ रुपये की लागत से रिकॉर्ड 193 परियोजनाएं पूरी की हैं. यह संगठन अटल सुरंग, रोहतांग, उमलिंगला दर्रे पर दुनिया की सबसे ऊंची सड़क, भूटान में पारो एयरफील्ड जैसी विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा परियोजनाएं बनाने के लिए जाना जाता है.
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बीआरओ वर्तमान में शिंकुला सुरंग, लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड और अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग सहित कई रणनीतिक परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जो जल्द पूरा जाएगा. वर्तमान डीजीबीआर लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं. रघु श्रीनिवासन खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून और 1987 में कोर ऑफ इंजीनियर्स में नियुक्त हुए थे. रघु श्रीनिवासन ने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक, रक्षा अध्ययन में एमएससी और रक्षा और रणनीतिक अध्ययन और राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक अध्ययन में एम फिल किया हुआ है. इसके साथ ही उन्होंने मानवाधिकार में पीजी डिप्लोमा भी किया है.
जनरल ऑफिसर ने अपनी शानदार सेवा के दौरान ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन रक्षक और ऑपरेशन पराक्रम में भी भाग लिया है. रघु श्रीनिवासन के पास सीमावर्ती क्षेत्रों विशेषकर लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर सहित अन्य क्षेत्रों में सेवा करने का समृद्ध अनुभव है. उन्होंने दो साल तक रक्षा सलाहकार के रूप में भी काम किया है. रघु श्रीनिवासन ने अपने लंबे और शानदार करियर के दौरान प्रतिष्ठित डीएसएससी, हायर कमांड और एनडीसी पाठ्यक्रमों में अर्हता हासिल करते हुए कई प्रमुख कमांड और स्टाफ नियुक्तियों पर भी काम किया है.
कमांड नियुक्तियों के एक विविध मिश्रण में उल्लेखनीय नियुक्तियां 58 इंजीनियर रेजिमेंट और 416 इंजीनियर ब्रिगेड की कमान हैं. उन्होंने रक्षा मंत्रालय (सेना) के मुख्यालय में उप महानिदेशक, अनुशासन और सतर्कता, कमांडेंट बीईजी और केंद्र रूड़की, मुख्य अभियंता दक्षिणी कमान और रक्षा मंत्रालय (सेना) के आईएचक्यू में इंजीनियर-इन-चीफ शाखा में एडीजी की नियुक्तियों पर भी काम किया है.
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वह भारतीय सैन्य सलाहकार टीम, लुसाका, जाम्बिया और प्रतिष्ठित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में प्रशिक्षक भी रहे हैं. उनकी विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें दो बार विशिष्ट सेवा मेडल, सीओएएस कमेंडेशन कार्ड, वीसीओएएस कमेंडेशन कार्ड और जीओसी-इन-सी कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. जनरल ऑफिसर एक सक्रिय और भावुक हाफ मैराथन धावक, एक नाविक हैं. इन्होंने दस से अधिक राष्ट्रीय रेगाटा में भी भाग लिया है और क्लब स्तर पर टेनिस और बास्केटबॉल खेला है.
रघु श्रीनिवासन एक शौकीन लेखक भी हैं. उन्होंने 2014 में 'द अवतारी' नाम से दो बेस्ट सेलर किताबें भी लिखी हैं. इसके बाद 2020 में एक और भूराजनीतिक थ्रिलर जियानगुई भी लिखी है. महानिदेशक सीमा सड़क के रूप में कार्यभार संभालने से पहले ये पुणे के कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग में कमांडेंट के पद पर कार्यरत थे.
कमान संभालने के बाद कर्मयोगियों को दिए अपने पहले संदेश में उन्होंने दुनिया की कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण और दुर्गम परिस्थितियों में महत्वपूर्ण सड़कों और संबद्ध बुनियादी ढांचे के रखरखाव और निर्माण में उनके प्रयासों की सराहना की है. उन्होंने कर्मयोगियों से दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ने के अपने मिशन में लगातार अटूट समर्पण, लचीलापन और व्यावसायिकता प्रदर्शित करने का आह्वान किया ताकि सशस्त्र बलों को हमारी सीमाओं की रक्षा करने और सीमा क्षेत्र के सामाजिक आर्थिक विकास को सक्षम करने में सक्षम बनाया जा सके.
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