Himachal Pradesh News: पर्यटन राजधानी कांगडा के पौंग बांध से मायूस लौट रहे है पर्यटक
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Himachal Pradesh News: पर्यटन राजधानी कांगडा के पौंग बांध से मायूस लौट रहे है पर्यटक

Nahan News: सुक्खू सरकार कांगड़ा जिला को प्रदेश की पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने की प्रतिबद्धता जाहिर कर रही है, लेकिन अभी भी कुछ कार्य ऐसे हैं, जो सरकार की तरफ नहीं किए गए हैं.

 

Himachal Pradesh News: पर्यटन राजधानी कांगडा के पौंग बांध से मायूस लौट रहे है पर्यटक

भूषण शर्मा/नूरपुर: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार जिला कांगड़ा को राज्य की पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने की प्रतिबद्धता जाहिर कर रही है, लेकिन अभी तक पौंग झील व मध्य स्थित 'रैंसर दी गढ़ी' आईलैंड को पर्यटन के मानचित्र पर कोई पहचान नहीं मिल पाई है. पौंग वांध व 'रैंसर दी गढ़ी' आईलैंड मे घूमने आ रहे पर्यटकों को कोई सुविधाएं न मिल पाने के कारण मायूस वापिस लोटना पड़ रहा है. 

रैंसर दी गढ़ी में वन्य प्राणी विभाग द्वारा विश्रामगृह बनाया गया है. इसके चारों तरफ फेंसिंग भी की गई है. रैंसर दी गढ़ी को मिनी गोआ के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन यह अपनी खास पहचान नहीं बना पाया है. इस स्थल तक पहुंचने के लिए पर्याप्त मोटरबोट नहीं हैं. रैंसर दी गढ़ी में पर्यटकों को खाने-पीने की कोई उचित सुविधा नहीं है. यह ऐसी जगह है, जिसके चारों तरफ सालभर पानी भरा रहता है. पौंग झील का जलस्तर भले ही कितना भी बढ़ जाए, लेकिन यह गढ़ी पानी में नहीं डूबती है. इसे पर्यटन के मानचित्र पर लाने की कोई पहल नहीं की गई. दूरदराज से पर्यटक यहां आते हैं, लेकिन सुविधाओं का अभाव होने के कारण सरकार को कोसते हैं और मायूस होकर वापिस लौट जाते हैं. 

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चिन्हित क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कॉटेज, पूल, स्पा और रेस्तरां जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जान था. साथ ही जल क्रीड़ा, साहसिक खेल, स्थानीय भोजन, संस्कृति, और कला को भी प्रमोट किया जाना था, लेकिन अभी तक इस तरफ सरकार एक भी कदम नहीं बढ़ा पाई है. इन क्षेत्रों के विकसित हो जाने के बाद देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए यहां पहुंचना आसान होगा.

पौंग झील में पहुंचे वाले प्रवासी पक्षियों की आमद और पांडवों द्वारा निर्मित बाथू दी लड़ी के बाहर आते ही पर्यटकों की आमद भी बढ़ गई है. झील में पर्यटकों की आमद से झील गुलजार हो चुकी है. ऐतिहासिक बाथू दी लड़ी स्थल के जल से बाहर निकलते ही पर्यटकों का आवागमन शुरू हो गया है. पौंग झील का जलस्तर बढ़ने के साथ ही यह स्थल पानी में समा जाता है. जैसे ही जलस्तर कम होता है यह स्थल बाहर निकल आता है.

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अब इसके बाहर निकलते ही हिमाचल के अलावा बाहरी राज्यों से पर्यटकों का आगमन शुरू हो गया है. मौजूदा समय में बाथू की लड़ी के चारों तरफ पानी ही पानी है. वन्य प्राणी विभाग ने पर्यटकों के लिए एक मोटरबोट लगा दी है, जिसके माध्यम से बाथू दी लड़ी तक पर जा रहे हैं. मोटरबोट घूमने की एवज में 3000 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है. प्रतिदिन सैंकड़ों की तादाद में पर्यटक झील में बाथू दी लड़ी को निहारने व प्रवासी परिंदों को देखने के लिए आ रहे हैं. 

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