चैत्र नवरात्रि शुरुआत 9 अप्रैल क हुई थी. नवरात्री के सातवें दिन यानी 15 अप्रैल को मां कालरात्रि (Maa Kalratri Puja) की पूजा की जाती है. माना जाता है कि मां कालरात्रि भूत प्रेत, डर और बाधाओं को दूर कर देती हैं और उनकी कृपा से व्यक्ति के सभी संकट मिट जाते हैं.
नवरात्री के सातवें दिन रात के समय माता कालरात्रि का पूजन करना बेहद शुभ माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन ही रक्तबीज का विनाश करने वाली देवी ने कालरात्रि का रूप धारण किया था. माता का मंत्र जाप करना बेहद शुभ होता हे.
शास्त्रों के अनुसार कालरात्रि मां गधे पर विराजमान होती है. उनके तीन नेत्र और चार भुजाएं हैं. मां की एक भुजा में कांटा, एक में खड्ग, एक में लौह और एक भुजा मेंअस्त्र सुशोभित है. मां कालरात्रि के गले बिजली सी चमक हैं. देवी के इस स्वरूप को शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है.
नवरात्री के सातवें दिन को महासप्तमी भी कहा जाता है. इस दिन मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है. गुड़ के चिल्ले से लेकर मालपुआ और पकोड़े बनाकर भोग लगाया जान सकता है. इन का भोग लगाने से मां प्रसन्न हो जा ती हैं और भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता. लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी.. वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा. वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि.
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः (Disclaimer: लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZeePHH इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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