Mauni Amavasya 2025: क्या है पवित्र स्नान के लिए शुभ समय? जानें महाकुंभ में स्नान की सही विधि
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Mauni Amavasya 2025: क्या है पवित्र स्नान के लिए शुभ समय? जानें महाकुंभ में स्नान की सही विधि

Mahakumbh 2025: महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन होने जा रहा है. पवित्र स्नान के शुभ समय और स्नान की सही विधि के बारे में जानने के लिए नीचे लेख पढ़े-

 

Mauni Amavasya 2025: क्या है पवित्र स्नान के लिए शुभ समय? जानें महाकुंभ में स्नान की सही विधि

Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या का पवित्र अवसर प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा. इस शुभ दिन पर, लगभग 10 करोड़ भक्तों के अमृत स्नान (पवित्र स्नान) में भाग लेने की उम्मीद है.

मौनी अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है, खासकर त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम) पर। इस दिन शुभ मुहूर्त (समय) के दौरान गंगा में डुबकी लगाने से पूर्वजों और देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और ग्रह दोष (कष्ट) दूर होते हैं.

मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान का समय:
मौनी अमावस्या (29 जनवरी 2025) को महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान के तीन शुभ मुहूर्त होंगे:

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:25 बजे से सुबह 6:18 बजे तक
लाभ काल: सुबह 7:11 बजे से 8:32 बजे तक
अमृत ​​काल: सुबह 8:32 बजे से 9:53 बजे तक

अमृत ​​स्नान के दौरान, पवित्र परंपरा के अनुसार नागा साधुओं सहित 13 अखाड़ों के साधु-संतों को पहले स्नान करने की अनुमति दी जाती है। इस सदियों पुरानी परंपरा का सावधानीपूर्वक पालन किया जाता है, जिसमें साधु-संतों के पवित्र स्नान पूरा करने के बाद गृहस्थ लोग इसमें भाग लेते हैं।

अमृत ​​स्नान की उचित विधि:
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान से पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए भक्तों को इन चरणों का पालन करना चाहिए:

प्रथम एवं द्वितीय डुबकी: सूर्य एवं देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नदी में प्रथम दो डुबकी लगाते समय पूर्व की ओर मुख करें।
तीसरी डुबकी: भगवान शिव, सप्तऋषियों (सात ऋषियों) और आध्यात्मिक गुरुओं की कृपा पाने के लिए उत्तर दिशा की ओर मुख करें।
चौथी डुबकी: पश्चिम की ओर मुख करें, जो किन्नरों, यक्षों, गरुड़ और 33 करोड़ हिंदू देवी-देवताओं का सम्मान करती है।
पांचवी डुबकी: दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके हाथ में जल लेकर नदी में पानी छोड़ने से पहले पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।

इसे अमृत स्नान क्यों कहा जाता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, महाकुंभ के दौरान ग्रहों का अनोखा संयोग हर 12 साल में एक बार होता है, जब बृहस्पति वृषभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में एक साथ आते हैं। यह खगोलीय संयोग गंगा, यमुना और सरस्वती के जल को अमृत में बदल देता है। इस दौरान इन पवित्र नदियों में स्नान करने से अमरता और मोक्ष का फल मिलता है।

Mahakumbh 2025 अमृत स्नान की तिथियां:
मौनी अमावस्या के बाद, अतिरिक्त अमृत स्नान या शाही स्नान निम्नलिखित तिथियों पर होंगे:

3 फरवरी 2025: बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा
26 फरवरी 2025: महा शिवरात्रि

(Disclaimer: इस लेख की सामग्री पूरी तरह से मान्यताओं पर आधारित है, और इसे सामान्य मार्गदर्शन के रूप में लिया जाना चाहिए. व्यक्तिगत अनुभव भिन्न हो सकते हैं. ZeePHH प्रस्तुत किसी भी दावे या जानकारी की सटीकता या वैधता का दावा नहीं करता है.)

 

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