मौनी अमावस्या माघ मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. इस दिन मौन व्रत, पितृ तर्पण, दान और गंगा स्नान जैसे विशेष उपाय करके पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है. यह दिन मानसिक शांति, आध्यात्मिक शुद्धि और पितृ दोष से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखना एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है. इस दिन मौन रहकर ध्यान और साधना करना चाहिए.मौन व्रत से मानसिक शांति प्राप्त होती है और व्यक्ति का मन शुद्ध होता है. इसे आत्मिक उन्नति का रास्ता माना जाता है क्योंकि मौन रखने से बुरी आदतें और नकारात्मक विचार दूर होते हैं. साथ ही यह दिन उपासना और आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त होता है.
इस दिन पितरों का तर्पण करना बहुत पुण्यकारी होता है. तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है. तर्पण के लिए खासतौर पर तिल, जल, चावल और फूलों का उपयोग किया जाता है. यह उपाय पितृ दोष को दूर करता है और परिवार में शांति बनाए रखता है.
मौनी अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या अन्य वस्तुएं दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, यह पितरों को सम्मान देने का तरीका भी है. दान से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है, और यह पितरों के आशीर्वाद को आकर्षित करता है.
यदि गंगा नदी के पास रह रहे हैं, तो इस दिन गंगा में स्नान करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. गंगा स्नान से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है.इसे पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है.
पितृ पूजा इस दिन एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है. इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण करने से उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं. यह उपाय पितृ दोष को नष्ट करता है और परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनाए रखने में मदद करता है. पूजा में विशेष रूप से तिल, जल, फूल और चावल का उपयोग किया जाता है. (Disclaimer) इस लेख की सामग्री पूरी तरह से मान्यताओं पर आधारित है, और इसे सामान्य जानकारी के रूप में लिया जाना चाहिए. ZeePHH प्रस्तुत जानकारी की वैधता का दावा नहीं करता है.
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