Shivratri: इस मंदिर में की जाती है खंडित शिवलिंग की पूजा, भगवान शिव देते हैं साक्षात दर्शन
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Shivratri: इस मंदिर में की जाती है खंडित शिवलिंग की पूजा, भगवान शिव देते हैं साक्षात दर्शन

Mahashivratri: शिव भक्त भोलेनाथ को कई नाम से पुकारते हैं. कोई उन्हें भोले कहता है तो कोई उन्हें शिव शंकर कहता है. भोलेनाथ भी अपने जैसे ही भोले भंडारी वे अपने भक्तों के बुलाने पर उन्हें दर्शन भी देते हैं. ये कोई कहावत नहीं बल्कि हकीकत भी है. लुधियाना में एक ऐसा मंदिर यहां भगवान शिव भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं. 

 

Shivratri: इस मंदिर में की जाती है खंडित शिवलिंग की पूजा, भगवान शिव देते हैं साक्षात दर्शन

Ludhiana Broken Shivling: हिंदू धर्म में खंडित देव प्रतिमाओं, खंडित शिवलिंग और फटी टूटी तस्वीरों की पूजा करना शुभ नहीं माना जाता है. अगर घर में रखी किसी भी देवी-देवता की प्रतिमा खंडित हो जाती है तो लोग उसे अनहोनी के डर से जल में प्रवाहित कर देते हैं, लेकिन भोलेनाथ का एक ऐसा अद्भुत मंदिर हैं, जहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है.

भोलेनाथ के इस मंदिर में होती है खंडित शिवलिंग की पूजा
वो कहते हैं न कि 'खंडित' हैं फिर भी यहां 'वंदित' हैं शिव. दरअसल लुधियाना के पायल एरिया में महादेव का अनोखा शिवालय है. यहां भक्त खंडित शिवलिंग की पूजा करते हैं. पूरी तरह से खंडित शिवलिंग होने के बाद भी यहां की शिवलिंग पूजनीय है. महाशिवरात्री के पर्व पर लोग दूर-दूर से इस शिवालय के दर्शन के लिए आते हैं. कहा जाता है कि सच्चे मन से जो भी भोलेनाथ की शीश पर नतमस्तक होता है उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती हैं.

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यह है इस शिवायल की प्राचीन कहानी
इस शिवालय को लेकर एक प्राचीन कहानी बहुत प्रसिद्ध है, जिसके अनुसार, भगवान शिव के इस शिवालय को पांडवों ने वनवास के दौरान बनाया था, लेकिन कुछ समय बाद मुस्लिम शासक बाबर ने इसे खंडित कर दिया था. कहा जाता है कि बाबर ने इसे खंड़ित तो कर दिया, लेकिन इसके बाद उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. ऐसे में बाबर ने एक फिर शिव मंदिर बनाने की ठानी, लेकिन शिवलिंग फिर भी खंडित ही रहा, तब से यहां इसी खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है. 

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भगवन शिव देते हैं दर्शन
यहां हर साल शिवरात्रि पर भव्य कार्यक्रम/मेले का आयोजन भी होता है, जिसमें लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए दूर-दूर से यहां आते हैं. इस दौरान शिव अराधना के साथ-साथ लंगर भी कराया जाता है. इस शिवालय को लेकर मान्यता है कि इस शिवलिंग पर लगातार 40 दिन जल चढ़ाने से साक्षात शिव दर्शन देते हैं.

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