Holika Dahan 2023 Puja Vidhi: होलिका दहन करने की परंपरा विष्णु भक्त प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका से जुड़ी हुई है.
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Holika Dahan 2023 Puja Vidhi: सनातन धर्म में हर त्योहार का एक विशेष महत्व है जिसमें से होली का त्यौहार भी एक है. यह त्यौहार जीवन में उत्साह के साथ-साथ रंग और उमंग भी लेकर आता है. हालांकि हर साल लोग बेसब्री से इस पर्व को लेकर उत्सुक रहते हैं. हिन्दू पचांग के अनुसार होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और प्रकृति के बदलावों का संकेत है. हर साल होली से एक दिन पहले फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है.
होलिका दहन करने की परंपरा विष्णु भक्त प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका से जुड़ी हुई है. फाल्गुन पूर्णिमा की शाम को होलिका दहन के समय कई महिलाएं पूजा करती हैं. बता दें कि कई ज्योतिषियों की विद्या के अनुसार होलिका की अग्नि में खास तीन सामग्रियों को डालकर परिक्रमा करने से इच्छाएं पूरी हो सकती हैं. चलिए जानते हैं इन विशेष सामग्रियों से जुड़े कुछ भाव.
फाल्गुन पूर्णिमा की शाम को महिलाएं होलिका दहन के समय पूजा करती हैं और अपनी आस्था अनुसार विभिन्न पूजन सामग्री — जैसे उंबी, गोबर से बने बड़कुले, नारियल आदि — होलिका में अर्पित करती हैं लेकिन परंपरागत रूप से होलिका पर चढ़ाई जाने वाली इन सामग्रियों के पीछे कुछ भाव छिपे हैं.
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माना जाता है कि होलिका पूजा और दहन के दोरान परिक्रमा बेहद महत्वपूर्ण होती है. सच्ची और पूर्ण श्रद्धा से यदि परिक्रमा की जाए तो मन की इच्छा ज़रूर पूरी होती है. यह भी कहा जाता है कि परिक्रमा अपनी मनोकामना के अनुसार की जाती है यानि जितनी कामना उतनी परिक्रमा.
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