Zee Punjab Himachal Conclave 2023: हिमाचल प्रदेश में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने Zee Punjab Himachal के Emerging Himachal कॉन्क्लेव में राज्य में उद्योग और उद्यमियों के लिए क्या-क्या किया उसपर चर्चा की.
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Zee Punjab Himachal Conclave 2023: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के कार्यकाल को एक साल पूरा हो गया है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में इंडस्ट्रियल विकास और उद्योग जगत में क्या-क्या हुआ, इन सब चर्चा के लिए Zee Punjab Himachal ने राजधानी शिमला में Emerging Himachal नाम से एक कॉन्क्लेव का आयोजन किया. इसमें प्रदेश के उद्योग मंत्री, संसदीय कार्य, और आयुष मंत्री हर्षवर्धन चौहान से कई विषयों पर बात की गई है.
सवाल और जवाब
सवाल-1: हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिती जो जग जाहिर है. काफी चैलेंजे रहे इन एक सालों में, तो आप इन एक सालों में कैसे देखते हैं कि इंडस्ट्री के सेक्टर को इंप्रुफ करने के लिए क्या कुछ प्लान बन पाए हैं, जो आने वाले सालों में देखने को मिल सकेगा?
जवाब- हमारी सरकार का कार्यकाल अभी 1 साल का हुआ है. ये साल काफी चुनौती पूर्ण रहा है और उपल्बधियों भरा भी रहा है और जैसा आपको मालूम है कि हिमाचल प्रदेश में इस बार बरसात में बहुत बढ़ी आपदा आई. करीब 10,000 करोड़ रुपए नुकसान भी हिमाचल प्रदेश में हुआ है.
इन स्पाइट ऑफ़ द फैक्ट की गवर्नमेंट आफ इंडिया से हमें ज्यादा आर्थिक मदद नहीं मिली है. हिमाचल प्रदेश को माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने पैरों पर दोबारा से खड़ा किया है. रोड की रजिस्ट्रेशन है. स्कीम से हैं. वाटर स्कीम, बिजली की प्रोजेक्ट्स है. आज हम हिमाचल प्रदेश का ग्राफ थोड़ा नीचे हुआ, आपदा से टूरिस्म का लेवल भी बीते महीनों में गिरा था. आप अभी कल परसों देखा होगा अपने 9 दिसंबर का जो लास्ट है शिमला में राउंड अबाउट 75,000 गाड़ियां आई है और कुल्लू, मनाली में इनफार्मेशन जो टूरिस्ट को लेकर है वो बढ़ा है.
तो हम नॉर्मेल्शी की ओर हिमाचल प्रदेश में आ रहे हैं. हिमाचल हमको विरासत में 75,000 कोर्ट का लोन मिला और 11,000 कोर्ट की हमारे जो सीमा सरकारी कर्मचारियों की देनदारी है. सिक्स पे कमीशन के चीजे हैं, डीए हैं. हमको मिला है और हम एक काफी संकट के दौर से गुजर रहे हैं. आज हिमाचल प्रदेश में रिसोर्सेस मोबिलाइज करने के लिए एक लिमिटेड सेक्टर है. चाहे वह इंडस्ट्री है, टूरिज्म है, या हाउसिंग सेक्टर है, पावर सेक्टर है. वह हम आज मुख्यमंत्री जी का फॉक्स इन सेक्टर पर है ताकि हिमाचल प्रदेश आने वाले समय में आत्मनिर्भर हो सके क्योंकि जब हिमाचल प्रदेश बना था तो हिमाचल प्रदेश गवर्नमेंट आफ इंडिया ने इसलिए नहीं बनाया था कि इकोनॉमी बाइबल स्टेट होगा मगर लोगों की भावनाओं को देखते हुए पहाड़ी कल्चर, हमारी पहाड़ी रीति रिवाज और उसको देखते हुए बताया था.
हम हमेशा से लेकर के केंद्र पर डिपेंडेंट रहे हैं, मगर अब हमारे जो गवर्नर ऑफ इंडिया से ग्रांट्स हैं या और चीजें हैं. वह बहुत कम होती जा रही हैं, तो हमको हिमाचल प्रदेश को अपने पैरों में अपना खड़ा होना पड़ेगा और मुख्यमंत्री जी ने इसके लिए पहल की है अब उद्योग मंत्री होने के नाते हमने पिछले 1 साल में लगभग 10,000 करोड़ रुपए इन्वेस्टमेंट हिमाचल प्रदेश में लाए हैं.
उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले वरुण बेवरेजेस जो बहुत अच्छी कंपनी इंटरनेशनल कंपनी है. उन्होंने पेप्सी की जो बॉटलिंग इंडिया में करते हैं. ऐसे में सीएम ने 265 करोड़ रुपये का इंदौरा में फॉउंडेशन स्टोन रखा है. इसी तरह से हमारे हिमाचल में बलड्रग पार्क 1923 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है. ये नेशनल प्रोजेक्ट है. मेडिसिनल डिवाइस पार्क नालागढ़ में बन रहा है, वह 350 करोड़ रुपए की लागत से है, तो यह इन दोनों प्रोजेक्ट में कम से कम 15,000 इन्वेस्टमेंट लगेगी.
उन्होंने कहा कि लैंड अवेलेबिलिटी जो है, हमारे पास लैंड बैंक नहीं है. हम हिमाचल में लैंड को बड़े लेवल पर एकत्रित कर रहे हैं, ताकि उद्योगपति आए हम उसकी जमीन दिखाएं और वह अपने उद्योग को स्थापित करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दें, जो फॉर्मेलिटी है तो उसको भी हम लीगलाइज कर रहें हैं. हमारी प्राशमिकता है हिमाचल प्रदेश की ज्यादा से ज्यादा इंवेस्टमेंट आए.
सवाल-2: जब भी कभी नई सरकार बनती है तो उद्योगपति की इच्छा होती है कि कोई ना कोई हमारे लिए नई पॉलिसी आए, तो ऐसे में आप क्या नया लेकर आ रहे हैं?
जवाब- हमने बहुत सारी पॉलिसी की है क्योंकि हिमाचल प्रदेश में जो 118 है. हमारे जो रेवेन्यू एक्ट हैं, जिसमें बाहर से यानी की नॉन हिमाचली जमीन नहीं खरीद सकते हैं. उसे केवल सरकार के परमिशन से ही खरीद सकते हैं, ये एक एक बहुत लंबा और बड़ा जटिल प्रक्रिया है. हिमाचल में इंडस्ट्रीज ना आना या इन्वेस्टमेंट ना आना है, उसका एक बड़ा कारण ये है. मैंने कैबिनेट में भी विधानसभा में इस बारे में चर्चा की है. उन्होंने कहा कि इसके लिए हिमाचल प्रदेश के जो दरवाजे हैं, हिमाचल प्रदेश के जैसे कानून है जो इन्वेस्टमेंट को रोकने हमको उसको लिबरलाइज करना पड़ेगा. और हम इन्वेस्टमेंट ब्यूरो भी बनाने जा रहे हैं.
हमारा एक ब्यूरो होगा. वह सभी जो एनओसी हैं, पॉल्यूशन है. चाहे इसी है और मजदूर के हैं, फायर के हैं, फॉरेस्ट के एनओसी हैं, तो ये रिस्पांसिबिलिटी द ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टमेंट ब्यूरो की है. वह कलेक्ट करेगा टाइमबॉन्ड में करेगा. अगर कोई उसे टाइमबॉउन्ड में नहीं करेगा तो फिर उसपर बात करी जाएगी.
उन्होंने आगे कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार ने इन्वेस्टमेंट मीट की और बड़े-बड़े रोड शो किए और उन्होंने कहा कि हम 1,25,000 करोड़ की इन्वेस्टमेंट लाया. मगर वह सिर्फ 27,000 करोड़ रुपए की आई और हमने वह 27,000 करोड़ रुपए की भी जो लोगों ने इन हिमाचल में इंटरेस्ट शो किया या एस्टेब्लिश करना शुरू किया. हमने उनको बुलाया मुख्यमंत्री जी ने खाया पावर कमेटी की मीटिंग बुलाई. पावर सेक्टर, टूरिज्म सेक्टर, इंडस्ट्रियल सेक्टर और हमने उनसे पूछा कि आपको कहां-कहां दिक्कत है. कहां एनओसी की जरूरत है. कहां आपका प्रोजेक्ट अटका है, तो हमने उनको भी कोशिश की कि वो जो हैं उनके प्रॉजेक्ट स्टार्ट हो और उनका काम आसान हो जाए.