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Shimla: भारत संस्कृति और रिति-रिवाज को निभाने के लिए जाना जाता है. हर प्रदेश में अपनी कुछ परंपरा और रिवाज है. वहीं हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहडू शेखल में भी एक परंपरा सदियों से चली आ रही है. जिले में 3 दिवसीय शांद महायज्ञ शुरू हो गया है. इस महायज्ञ में लगभग 50 हजार लोगों के पहुंचने की उम्मीद है.
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बता दें, 1984 के बाद से यह पर्व शहर में मनाया जा रहा है. करीब 38 साल के बाद गांव शेखल में यह पहाड़ी परंपरा निभाई जा रही है. तीन दिवसीय का पर्व 18 दिसंबर तक चलेगा. जानकारी के मुताबिक, शांद महायज्ञ का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है. हिमाचल को देवभूमि इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर देवी-देवताओं का शांद महायज्ञ करवाया जाता है.
इस यज्ञ को सुख-समृद्धि और घर में खुशहाली के लिए मनाया जाता है. मान्यता है कि इसे प्राकृतिक प्रकोप से बचने और कोरोना जैसी बीमारी से दूर रहने के लिए राजा-महाराजा इसका अनुष्ठान कराते थे. तब से लेकर आज तक लोग इस परंपरा को निभा रहे हैं. अब यज्ञ लगभग 25 से लेकर 40 साल के लंबे अंतराल के बाद मनाया जा रहा है.
बता दें, जिला शिमला के शेखल गांव में जागा माता और महासू देवता के शांद महायज्ञ में 3 तरह के कार्यक्रम होंगे. जिसमें संघेडा ( देवताओं का आना), शिखा फेर (मंदिर की पूजा) और उछड़ पाछड़ (देवताओं का वापस) जाना जैसे कार्यक्रम होते हैं. सबसे खास बात यह है कि लोग नंगी तलवारों, बंदूकों और नरसिंघा जैसे वाद्य यंत्रों की धुनों पर नाचेंगे.
रिपोर्टस के मुताबिक, मंदिर कमेटी शेखल के मोतवीन (प्रधान) सुरेश नागटा का कहना है कि हम खुद को अच्छी किस्मत वाले मानते हैं, जो शांद महायज्ञ करवाने का मौका मिला है. इस परंपरा को निभाने का मौका किसी-किसी को ही मिलता है. उन्होंने कहा कि इस पर्व को मनाने के लिए हमने पूरी तैयारियां की हैं. पूरे शिमला जिले के लोग इस यज्ञ में भाग लेंगे.
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