सरस मेले में मोटे अनाज के बारे में लोगों को किया गया जागरूक, इसके सेवन से कई बीमारियों से रहेंगे दूर!
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सरस मेले में मोटे अनाज के बारे में लोगों को किया गया जागरूक, इसके सेवन से कई बीमारियों से रहेंगे दूर!

Kullu Mela: जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में लगे सरस मेले में लोगों को मोटे अनाज के फायदे के बारे में जानकारी दी जा रही है. मेले में कोदरा, लाल चावल के औषधीय गुणों की जानकारी दी जा रही. 

सरस मेले में मोटे अनाज के बारे में लोगों को किया गया जागरूक, इसके सेवन से कई बीमारियों से रहेंगे दूर!

Kullu Fair: केंद्र सरकार के द्वारा जहां मोटे अनाज के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष रूप से अभियान चलाए जा रहे हैं, तो वहीं कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को भी मोटा अनाज उगाने के बारे में प्रेषित किया जा रहा है. ताकि मोटे अनाज के औषधीय गुणों से लोग बीमारियों से मुक्त हो सके. 

इसी कड़ी में जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में चल रहे सरस मेले में भी लोगों को मोटे अनाज के फायदे के बारे में जानकारी दी जा रही है, तो वही लोग मोटे अनाज से बने विभिन्न व्यंजनों का भी लुत्फ उठा रहे हैं. सरस मेले में यहां स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा कोदरा तथा लाल चावल के गुणों के बारे में जानकारी दी जा रही है. 

वहीं, स्टॉल पर लोग इससे बने व्यंजनों का भी मजा ले रहे हैं. सरस मेले में ग्रामीण क्षेत्र से आई स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा मोटे अनाज के बारे में लोगों को अधिक जागरूक किया जा रहा है क्योंकि कोदरा में औषधीय गुणों की मात्रा काफी अधिक है और इसके सेवन से कई गंभीर बीमारियां भी दूर रहती है. 

इसके अलावा लाल चावल जो अब जिला कुल्लू में लुप्त होता जा रहा है. उसकी खेती के बारे में भी किसानों को जानकारी दी जा रही है ताकि वे फिर से इस लाल चावल की खेती कर सके और शुगर के मरीजों को लाभ मिल सके. 

ढालपुर के सरस मेले में मोटे अनाज से बने विभिन्न उत्पाद तथा व्यंजनों को लोग भी काफी पसंद कर रहे हैं. जिला कुल्लू की लगघाटी से सरस मेले में स्टॉल लगाने आई महिला विमला देवी का कहना है कि पुराने जमाने में लोग कोदरा का अधिक सेवन करते थे, जिससे वह बीमारियों से दूर रहते थे, लेकिन आज किसानों ने भी कोदरा उगाना बंद कर दिया है और लोग इसके गुण को भूलते जा रहे हैं. जिस कारण लोग आज कई बीमारियों का भी शिकार हो रहे हैं. सरस मेले में स्वयं सहायता मुंह से जुड़ी महिलाएं जहां कोदरा से बने व्यंजन लोगों को खिला रही है, तो वहीं इसके गुणों के बारे में भी लोगों को जागरूक कर रही है.

सरस मेले में खराहल घाटी के अंगू डोभी से आई महिला किरण गौड़ ने बताया कि लाल चावल पहले पहाड़ी इलाकों में काफी प्रयोग में लाया जाता था और इसके खाने से कभी भी शुगर की मात्रा नहीं बढ़ती है. आज लोग इसके औषधीय गुण के बारे में भूल गए हैं और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस बारे लोगों को जागरूक कर रही है. ताकि लाल चावल की खेती से किसानों की आर्थिकी भी मजबूत हो सके और लोग इसके गुण से कई बीमारियों से दूर रह सके.

रिपोर्ट- मनीष ठाकुर

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