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समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन की शुरुआत हो गई है. हालांकि अभी अर्ली वैरायटी का सेब जून और टाइडमैन ही मंडियों में आ रहा है. शिमला की भट्टाकुफर फल मंडी में भी टाइडमैन सेब पहुंचने लगा है. सेब के शुरुआती दाम अच्छे हैं. बेहतर क्वालिटी का सेब 100 से 120 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है.
पहली बार वजन के हिसाब से बिक रहा है टाइडमैन
हिमाचल में पहली बार टाइडमैन वजन के हिसाब से सेब बिक रहा है. अन्य मंडियों की तरह शिमला में भी वजन के हिसाब से अब सेब के दाम तय हो रहे हैं. वजन के हिसाब से दाम मिलना बागवानों के हित में है. अब सेब के दाम बागवानों को किलो के हिसाब से मिलने लगे हैं, जिसकी बागवान मांग भी कर रहे थे, लेकिन उनकी परेशानी अभी भी कम नहीं हुई है. बागवान बार-बार तौलकर भी कार्टन में निर्धारित 24 किलो तक सेब पैकिंग नहीं कर पा रहे. सेब का वजन और साइज अलग-अलग होने से एक फिक्स पैकिंग करना संभव नहीं है. इसके बाद मंडियों में अब उनको वजन के हिसाब से रेट के लिए जूझना पड़ रहा है.
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सरकार ने सेब वजन के हिसाब से बेचने का फरमान तो जारी कर दिया है, लेकिन इसके लिए मंडियों में उचित व्यवस्था नहीं है. शिमला फल मंडी की बात की जाए तो यहां स्पेस की कमी है. भट्टाकुफर फल मंडी पर कुछ साल पहले भूस्खलन हो गया था, जिससे इसका एक बड़ा हिस्सा खराब हो गया है. वहीं, अबकी बार वजन के हिसाब से सेब बेचने के लिए आढ़तियों को जगह की जरूरत महसूस हो रही है.
आढ़तियों का कहना है कि सरकार के फैसले की बागवानों को जानकारी जरूर है, लेकिन वे निर्धारित 24 किलो से ज्यादा की पैकिंग भी मंडियों में ला रहे हैं. इस तरह पहले बागवानों को सेब पैक करने से पहले तोलना पड़ रहा है. मंडियों में भी सेब को तोलकर लेना पड़ रहा है. आगे खरीददार भी अब तोलकर ही सेब मांग रहा है. इस तरह लंबी प्रक्रिया हो गई है.
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वहीं, सेब खरीदने मंडी पहुंच रहे लदानियों यानी खरीददारों का कहना है कि वजन के हिसाब से पेटियों को खरीदने और फिर बेचने की व्यवस्था से काफी देरी हो रही है, जिसमें इन्हें काफी समय लग रहा है. सरकार ने हिमाचल में वजन के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन बाहर की मंडियों में यह व्यवस्था लागू नहीं होगी. ऐसे में वे बाहर की मंडियों से सेब खरीदना बेहतर समझेंगे.
फल मंडी में कई दशकों से सेब का कारोबार कर रहे अतर सिंह कहते हैं कि सरकार ने एक ऐसी व्यवस्था की है, जिसमें कोई भी पक्ष सहमत नहीं है. ऐसे में उनका मानना है कि सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए, क्योंकि किलो के हिसाब से माल बेचना संभव नहीं है. आढ़तियों के पास जगह नहीं है. मंडी में एक आढ़ती के पास 200 वर्ग मीटर जगह भी नहीं है.
यही नहीं किसान भी इससे खुश नहीं है, क्योंकि उन्हें भी सेब तोलना पड़ रहा है. उनका कहना था सरकार को चाहिए था कि पहले सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन लाते, तब किसी को तोलने का कोई झंझट नहीं होता. इसके साथ ही कहा कि अगर कोई ऐसा फैसला करना है तो कम से कम एक साल पहले यह निर्णय लिया जाना चाहिए.
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अतर सिंह ने कहा कि सरकार को यह फैसला करना है कि अगले साल से टेलीस्कोपिक पूरी तरह से बंद हो और सभी कंपनियों को यूनिवर्सल कार्टन बनाने के आदेश दिए जाएं. इससे भी बेहतर यह है कि डिस्पोजल क्रेट में सेब बेचने की व्यवस्था की जाए. इससे किसी के साथ भी चीटिंग नहीं होगी. उनका कहना है कि जब अन्य फल डिस्पोजल क्रेट में बिक रहा है तो सेब क्यों नहीं बेचा जा सकता
वहीं, बागवानों की समस्या यह है कि वे सेब को कार्टन में तय मात्रा में नहीं भर पा रहे हैं, क्योंकि पूरे कार्टन को सेब से भरना जरूरी होता है. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो सेब डैमेज हो जाता है. ऐसे में 24 किलो तक सेब को फिक्स करना संभव नहीं है. वहीं मंडी में उनसे कार्टन के वजन के नाम से 2 से 4 किलो तक का वजन काटने की बात बागवान कर रहे हैं.
कोटखाई से आए बागवान रवि शुक्ला का कहना है कि उन्होंने 24 किलो के हिसाब से सेब की पेटियां भरी थीं, लेकिन उनका सीधा वजन 2 किलो कम किया गया है. कई बागवान इससे ज्यादा वजन के भी पेटियां ला रहे है, क्योंकि पेटियों को एक निर्धारित वजन से हिसाब से भरना संभव नहीं है. सब्जियों की तरह सेब के निर्धारित वजन में पैकिंग करना संभव नहीं है. ऐसे में जब बागवान ज्यादा वजन की पेटियां ला रहे हैं तो कार्टन के वजन के नाम से बागवानों को 22 किलो का ही रेट दिया जा रहा है. कोटखाई से सेब बेचने आए एक अन्य बागवान का कहना था कि उन्होंने 26 किलो की पेटियां ली थीं, जिसमें सीधा 4 किलो वजन कार्टन का काटा गया है.
वहीं, बागवानी मंत्री ने कहा कि वजन के हिसाब से सेब बेचने पर किसी तरह का कोई विरोध नहीं है, उन्होंने कहा बागवानों का भी विरोध नहीं तैयारियां सेब सीजन को लेकर पूरी हो चुकी हैं, उन्होंने कहा की सेब किलो के हिसाब से ही बिकेगा, क्योंकि ये बागवानों के हितों में लिया गया फैसला है, 2 किलो के हिसाब से कटौती तो होगी ही.
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