हिमाचल प्रदेश सरकार ने अफसरों की तैनाती वाली जगह पर संपत्ति खरीदने पर रोक लगा दी है. सरकार ने अधिकारियों की 50 से ज्यादा श्रेणी को इसमें शामिल किया है.
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समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने अफसरों की तैनाती वाली जगह पर संपत्ति खरीदने पर रोक लगा दी है. सरकार ने अधिकारियों की 50 से ज्यादा श्रेणी को इसमें शामिल किया है. 1996 से लेकर 2016 तक इसपर रोक लगाई गई थी, जबकि साल 2016 में इन अधिकारियों को जमीन खरीद में छूट दी गई थी.
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इस दौरान कई अफसरों ने प्रदेश में जगह-जगह अचल संपत्ति खड़ी कर दी है. उद्योग, श्रम, राजस्व, कृषि, जल शक्ति और कर एवं आबकारी विभाग के कई अधिकारी भूमि और फ्लैट खरीदने वालों में सबसे आगे हैं. इन सब मामलों पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार ने अब सख्ती बरतना शुरू कर दी है.
ये अधिकारी हुए शामिल
हिमाचल प्रदेश में मंडलायुक्त, डीसी, एडीसी, एडीएम, एसी टू डीसी, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व अधिकारी, एसपी, डीआईजी डीएसपी, एसएचओ, एसपी, कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट, डीएफओ, रेंजर, डिप्टी रेंजर, जल शक्ति विभाग के अधिकारी, उप निदेशक, बीडीओ, सहायक आयुक्त कर एवं आबकारी, आबकारी विभाग के अन्य अधिकारी, सहायक नियंत्रण माप तोल, माप तोल विभाग के अधिकारी, उद्योग विभाग के अधिकारी और ग्राम विस्तार अधिकारी अपनी पोस्टिंग वाली जगह पर जमीन नहीं खरीद सकेंगे.
यानी अफसर अपनी ड्यूटी से संबंधित क्षेत्र में अचल संपत्ति नहीं खरीद सकेंगे. तबादले के बाद भी तैनाती वाली जगह पर अफसरों के क्षेत्राधिकार में शामिल जगहों पर 2 साल तक भूमि, भवन अथवा अचल संपत्ति खरीदने पर पाबंदी होगी. मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभाग अध्यक्षों, सब डिविजनल कमिश्नर और सभी DC को पत्र जारी किया है. इस मामले पर मोहनलाल बरागटा ने कहा कि सरकार इस फैसले से निश्चित रूप से लाभ जरूर होगा.
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