Summer: तपती गर्मी में बेजुबानों के सहारा बने बरनाला के नौजवान, कर दिया ये काम
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Summer: तपती गर्मी में बेजुबानों के सहारा बने बरनाला के नौजवान, कर दिया ये काम

Bird Lovers in Barnala: तपती गर्मी और धूप में भूखे प्यासे पंछियों चिड़ियों का आसरा बने बरनाला के नौजवान. पढ़ें पूरी खबर

Summer: तपती गर्मी में बेजुबानों के सहारा बने बरनाला के नौजवान, कर दिया ये काम

देवेंद्र वर्मा/बरनाला: कोई जमाना था जब सुबह-सुबह पंछियों की चहचहाहट से सवेर हुआ करती थी. इनकी सुरीली आवाज से मन मुग्ध हो जाता था और हमारे पुराने बुजुर्ग इन पंछियों से बातें भी किया करते थे, लेकिन आज के बच्चे तो इन पंछियों के नाम तक भी नहीं जानते हैं. 

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सैकड़ों पंछी प्रजातियां जो आज अलोपित नजर आ रही है. इन्हीं प्रजातियों पंछियों को वापस लाने के लिए बरनाला के पंछी लवर-बॉयज एक छोटी सी कोशिश में जुटे हैं. इन पंछियों के लिए वो आसरा रेन बसेरा, आशियाने जिला बरनाला के साथ-साथ पूरे पंजाब भर के कोने-कोने में लगाने की कोशिश कर रहे हैं. 

इसी के तहत आज बरनाला में इन नौजवानों ने शहर बरनाला के कोने कोने में पार्कों में इन पंछियों के लिए आशियाने घोंसले लगाए और मौके पर बात करते हुए इन नौजवानों ने कहा कि बरनाला में तकरीबन 5 महीनों में 6,500 घोंसले लगा दिए हैं और तकरीबन दो हजार के करीब पेड़ भी लगाए गए हैं. 

आज हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हमारी गायब हो चुकी धरोहर, पंछी प्रजातियां जिन्हें हमने अपनी भागदौड़ वाली जिंदगी में अपनों से दूर कर दिया था उन्हें वापस लाया जाए. जिसके हम एक छोटी सी कोशिश कर रहे हैं. इस कोशिश में हम कामयाब भी हुए हैं, जो आशियाने हम लगा रहे हैं उसे पंछी अडॉप्ट कर रहे हैं. 

साथ ही उन्होंने बताया कि इस काम में हमारे साथ शहर के बहुत सारे नौजवान और पंजाब के कोने-कोने से पंछी प्रेमी जुड़कर इन पंछियों के लिए आशियाने बनाने और जगह-जगह इन पंछियों के लिए रैन बसेरे लगाने का काम कर रहे हैं. 

आज हमने भले ही आसमान को छूने तक की तरक्की पा ली है,  लेकिन इस आसमान तक पहुंचाने वाले हमें प्रेरणा देने वाले वह पंछी जो आकाश की ऊंची उड़ानों में कभी नजर आया करते थे, वह पंछी प्रजातियां आज कहीं गायब हो चुकी हैं.  ऊंची उड़ान भरने की प्रेरणा देने वाले यह पंछी आज हमारी खुदगर्जी और लापरवाही के चलते हमसे दूर हो चुके हैं. 

नौजवानों ने कहा कि आज हमने जंगल काट दिए जो इनका आसरा होते थे.  घोंसले जिन्हें उजाड़ कर हमने पक्के घर बना लिए और इनका रेन बसेरा हमने खत्म कर दिया, लेकिन इस धरोहर को इन पंछी प्रजातियों को आज बचाने की जरूरत है. आज तनाव भरी (डिप्रेशन) भरी जिंदगी में इन पंछियों की सुरीली चहचहाहट हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा है उन्हें वापस लाना हमारी जरूरत हमारी जिम्मेदारी है.  आओ मिलकर इन पंछी परजातियों के लिए रैन बसेरे आशियाने और इनके दाना-पानी का इंतजाम करें. 

ZEE मीडिया की तरफ से एक छोटी सी पहल इन नौजवानों की मुहिम को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने की. 

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