Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला में सबसे ज्यादा गेहूं की पैदावार की जाती है. अब यहां गेहूं की कटाई भी शुरू हो गई है, लेकिन इस बार यहां के किसान बहुत ज्यादा परेशान हैं. उनकी परेशानी का कारण गेहूं की फसल काटने वाले मजदूर बने हैं.
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राकेश मल्ही/ऊना: हिमाचल प्रदेश का जिला ऊना कृषि प्रधान जिला है. यहां के लोग सबसे ज्यादा खेती पर निर्भर है. जिला में सबसे ज्यादा गेहूं और आलू की फसल की पैदावार की जाती है. यहां गेहूं की पैदावार बड़े पैमाने पर की जाती है. जिला में गेहूं की कटाई का काम शुरू हो गया है, लेकिन गेहूं कटाई के लिए मजदूरों द्वारा मुंह मांगे दाम मांगने को लेकर किसान काफी परेशान हैं.
किसान संगठनों ने आज ऊना में एकत्रित होकर एमसी पार्क के बाहर रोष जताया. किसानों की मानें तो गेहूं की कटाई के लिए मजदूर दिहाड़ी से ज्यादा दाम मांग रहे हैं. किसानों के मुताबिक, वह मजदूरों को जिला मुख्यालय से अपने वाहन से लेकर आते हैं और शाम को उन्हें वापस छोड़ने भी जाते हैं. इसके अलावा उनके खाने-पीने का बंदोबस्त भी वही करते हैं, लेकिन इस बार गेहूं की कटाई शुरू होते ही किसान गेहूं कटाई के लिए 800 से 1000 रुपये दिहाड़ी मांग रहे हैं जो बहुत ज्यादा है.
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किसानों का कहना है कि गेहूं की कटाई करने वाले मजदूर अपनी मनमर्जी के दाम मांग रहे हैं जो बिल्कुल भी उचित नहीं है. एक ओर तो फसल पर मौसम की मार पड़ी है. ऐसे में मजदूरों द्वारा मुंह मांगे दाम मांगने के कारण किसानों के पल्ले कुछ भी नहीं पड़ रहा है. एक किसान ने कहा कि जब भी प्रवासी मजदूरों पर कोई मुसीबत आई है तो वह उनके साथ खड़े रहे हैं. उनकी हर तरह से मदद की है, लेकिन अब गेहूं की कटाई के समय यह प्रवासी मजदूर मुंह मांगे दाम मांग रहे हैं, जिससे वह बहुत परेशान हैं.
किसानों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि गेहूं की कटाई का दाम तय किया जाए ताकि प्रवासी मजदूरों द्वारा किसानों से मुंह मागें दाम ना मांगे जाएं. किसानों ने इकट्ठा होकर डीसी ऊना से मुलाकात की और इस मसले का जल्द से जल्द हल निकालने की मांग की.
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वहीं, डीसी ऊना जतिन लाल ने कहा है कि किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल गेहूं की कटाई में लेबर चार्ज के मसले को लेकर उनसे मिला है. उन्होंने इस मामले को लेबर इंस्पेक्टर को सौंप दिया है ताकि सरकार के मुताबिक जो लेबर रेट इसमें तय किए हैं उन्हें उसके तहत रेट मिल सकें और किसानों को इस परेशानी का सामना ना करना पड़े.
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