Faag Mela 2024: दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से रामपुर बुशहर राज दरबार पहुंचते हैं देवी-देवता
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Faag Mela 2024: दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से रामपुर बुशहर राज दरबार पहुंचते हैं देवी-देवता

Faag Mela 2024: हिमाचली पहाड़ी संस्कृति और परंपरा को संरक्षित रखने में ग्रामीण देवी-देवताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है. दैवीय अवस्थाओं के चलते लोग भी पुरानी परंपराओं का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं. शिमला जिला के रामपुर बुशहर में बसंत आगमन की खुशी में मनाए जाने वाले जिला स्तरीय फाग उत्सव में पुरानी पहाड़ी समृद्ध संस्कृति और देव परंपरा की झलक देखने को मिल जाती है. 

 

Faag Mela 2024: दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से रामपुर बुशहर राज दरबार पहुंचते हैं देवी-देवता

बिशेश्वर नेगी/रामपुर: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 130 किलोमीटर दूर पूर्व में बुशहर रियासत की राजधानी रहे रामपुर बुशहर में हर साल होली के दूसरे दिन से बसंत आगमन की खुशी में फाग मेले का आयोजन किया जाता है. यह मेला विशुद्ध रूप से सांस्कृतिक एवं ग्रामीण दैवीय परंपरा पर आधारित रहता है. फाग मेले में क्षेत्र के दूर-दराज ग्रामीण इलाकों से देवी-देवता रामपुर बुशहर राज दरबार पहुंचते हैं. इस दौरान देवी देवताओं के साथ पारंपरिक वेश भूषा में आए नर्तक दल देव वाद्य यंत्रों की धुनो में अपने इष्टों के साथ पूरे बाजार में शोभायात्रा निकालते हैं जो आकर्षण का मुख्य केंद्र रहता है. 

देवताओं की शोभा यात्रा में राज दरबार पहुंचने के बाद दिन भर वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों में नाटियों का दौर चलता रहता है. लोग अपने-अपने इलाके के देवी-देवताओं के सानिध्य में दिन भर माला नृत्य का आनंद लेते हैं. खास कर महिलाएं अपने-अपने इलाके की वेश भूषा में आभूषणों से सज-धजकर नृत्य में भाग लेती हैं. हजारों की संख्या में ग्रामीण लोग दूर-दूर से मनोरंजन के साथ-साथ अपने सगे संबंधियों से मिलने यहां पहुंचते हैं. इस दौरान लोग विभिन्न इलाकों से आए देवी-देवताओं के आगे नतमस्तक होकर सुखद भविष्य की मन्नते मांगते हैं. 

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फाग उत्सव की विशेषता है कि देवी-देवताओं की सक्रिय भागीदारी होने के कारण इसमें पश्चिमी सभ्यता की घुसपैठ अब तक नहीं हुई ह, जिस कारण आज भी हिमाचली पहाड़ी सभ्यता, संस्कृति एवं रीति रिवाज की संपूर्ण झलक इस मेले में देखने को मिलती है. हर बाहरी व्यक्ति को यहां के रीति-रिवाज, पहनावा, आभूषण, नृत्य आदि तमाम गतिविधियों की सूक्ष्म चित्रण से हिमाचली पहाड़ी संस्कृति परंपरा को नजदीक से जानने का मौका मिलता है.

देवता ऋषि मार्कंडेय के साथ आए नर्तक दल के प्रमुख ने बताया कि यह मेला बुशरा रियासत काल यानी राजाओं के समय से चला आ रहा है. इस मेले का महत्व आज भी यथावत है. दूर-दूर से यहां लोग मनोरंजन के लिए अपने देवी-देवताओं के साथ आते हैं. देवता झारु नाग के साथ आए नर्तक दल की सदस्य ममता ने बताया कि गांव की महिलाएं यहां मेले में मनोरंजन के लिए आई हैं. इस दौरान वे नृत्य के माध्यम से अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करती हैं. महिलाएं फाग मेले के माध्यम से अपनी पुरानी संस्कृति को बनाए रखने का प्रयास कर रही हैं.

मंगलानंद देवता के साथ आए नर्तक दल के सदस्य ने बताया कि यह मेला बसंत आगमन की खुशी में मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि 15 से 20  क्षेत्र के समूचे इलाके के लोग यहां आकर उन के देवता के साथ नृत्य का आनंद लेते हैं, क्योंकि उनके जो रिवाज व संस्कृति हैं वह आस-पास के इलाके के साथ मिलती है. 

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महिला मंडल न्यू कुंदर की महिला ने बताया कि उनका दल देवता के साथ आया है. वह अपने देवता के साथ हर साल शोभायात्रा में आते हैं और यहां आकर देवी देवताओं से सुखद भविष्य एवं मनोकामनाएं पूर्ण करने की मन्नत मांगते हैं. दूर-दराज धारा सरघा के देवता के साथ आए सुरेश कुमार जो नर्तक दल के सदस्य हैं उन्होंने बताया कि वह इस फाग उत्सव की परंपरा को बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं ताकि भविष्य में हमारी संस्कृति संरक्षित हो सके और उम्मीद करते हैं कि यह मेला लंबे समय तक चलता रहे. साथ ही कहा कि जो देवी देवताओं की परंपरा है यह भी यथावत रहे.

वहीं, देवता के पुजारी रूपलाल शर्मा ने बताया कि पहली बार उनके देवता फाग मेला मनाने आए हैं. उन्हें  कमेटी की ओर से निमंत्रण मिला था. लोग मेला में देवता से मन्नते मांगने आ रहे है.

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