Diwali: कुछ इस तरह से हिमाचल की राजधानी शिमला में मनाया जाता है दिवाली का पर्व
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Diwali: कुछ इस तरह से हिमाचल की राजधानी शिमला में मनाया जाता है दिवाली का पर्व

Diwali 2023: देश में दिवाली की खूब धूम रहती है. देश के अलग-अलग राज्यों में दिवाली अलग-अलग नाम से मनाई जाती है. इतना ही नहीं हर राज्य में अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार इसे मनाया जाता है. इस खबर में जानिए कैसे शिमला में लोग इस पर्व को मनाते हैं. 

Diwali: कुछ इस तरह से हिमाचल की राजधानी शिमला में मनाया जाता है दिवाली का पर्व

समीक्षा कुमारी/शिमला: दिवाली का त्योहार देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करतें हैं.  मिट्टी के दिए जलाते हैं. साथ ही मिठाई बांटकर और पटाखे जलाकर इस पर्व को मानते हैं. यह त्योहार भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटने के उपलक्ष में मनाया जाता है. हालांकि रोशनी का यह त्योहार देश भर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. वहीं, आज आपको बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इस त्योहार को कैसे मनाया जाता है. 

दीपावली के शुभ अवसर के लिए बाजार सज गए हैं. बाजारों में रौनक दिखाई दे रही है. लोग घरों के लिए साज-सजावट का सामान लेकर जा रहे हैं. बाजारों में भीड़ उमड़ती दिखाई पड़ रही है. रंग बिरंगी लड़ियां, अनेकों तरह के दिए, रंगोली के रंग, पूजा-अर्चना के लिए साज सजावट का सामान हर तरफ बाजारों में दिखाई दे रहा है.

जहां रंग-बिरंगे साज सजावट के समान को लोग पसंद कर रहे हैं, तो वहीं मिट्टी और गोबर के दीपों को भी लोग खरीदना पसंद कर रहे हैं. इसी कड़ी में जी मीडिया की टीम कामना गौशाला में पहुंची जहां पर 70 से 80 आवारा गायों को पाला जा रहा है. वहां दीपावली के लिए खास तौर पर गोबर से बने हुए उत्पाद रखे गए हैं. 

गोबर से बने हुए दिए, शिवलिंग, धूप इत्यादि दीपावली के लिए खास तौर पर बना कर रखे गए हैं. गौशाला के संचालक रंजन बताते हैं कि वह कई वर्षों से यहां इस गौशाला में कार्यरत है. कोरोना के बाद दीपावली के समय उन्होंने यह उत्पाद बनाने का सोचा. जिससे अब लोगों का रुझान धीरे-धीरे ऑर्गेनिक सामान की तरफ बढ़ने लगा है. जहां एक तरफ लोग साज-सजावट के लिए अलग-अलग चीज लेते हैं, तो वहीं अब गोबर के दिए भी लोग पसंद कर रहे हैं. 

गोबर के दीप की खासियत दीपावली के समय इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि माना जाता है कि भगवान राम जब वनवास के 14 वर्ष खत्म करके अयोध्या लौटे थे तो लोगों ने उनके स्वागत में गोबर और मिट्टी के दीप जलाए थे. इसलिए मिट्टी और गोबर के दिए काफी शुभ और पवित्र माने जाते हैं और वही मां लक्ष्मी के पूजन के लिए भी यह दीप काफी पवित्र माने जाते हैं. 

बाजारों में भी लोग मिट्टी के दिए खरीदने में उत्साह दिखा रहे. लोगों का यह माना है कि जहां कलरफुल लड़कियां और अनेकों तरह का सामान की उन्होंने खरीदारी की. वहीं, पूजा अर्चना के लिए अपनी पारंपरिक संस्कृतियों को वह नहीं भूलते हैं इसलिए हर वर्ष मिट्टी के देव के साथ ही पूजन किया जाता है. 

शिमला में मां लक्ष्मी के पूजन के लिए जहां एक तरफ मिठाइयां अलग-अलग तरह की रखी जाती है, तो वहीं दूसरी तरफ सफेद रंग के खिलौने, मीठी खिल, खीलें रखी जाती हैं. यह खास तरह का प्रसाद है जो मां लक्ष्मी को चढ़ाया जाता है. लोगों का यह मानना है की मां लक्ष्मी दीपावली के दिन रात को इन खिलौनों से खेलने आती हैं. इसलिए कई वर्षों से इस प्रसाद का इस्तेमाल पूजा के लिए किया जाता है. 

 

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