Amit Shah: लोकसभा में अमित शाह ने अनुच्छेद 370 के बाद अब लिया ये बड़ा फैसला
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Amit Shah: लोकसभा में अमित शाह ने अनुच्छेद 370 के बाद अब लिया ये बड़ा फैसला

Jammu Kashmir Reservation Amendment Bill 2023: संसद का शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन चल रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक - 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक- 2023 पर बात रखी. 

Amit Shah: लोकसभा में अमित शाह ने अनुच्छेद 370 के बाद अब लिया ये बड़ा फैसला

Parliament winter Session News: मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर में कश्मीरियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. इसके लिए संसद में 2 विधेयक पेश किए हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, 'कश्मीरियों की चिंता किसी ने नहीं की. उन्हें अब न्याय देने का वक्त आ गया है. यह काम मोदी सरकार कर रही है.' उन्होंने कश्मीरी विस्थापितों की बात करते हुए कहा, 'ये बिल उनको अधिकार देने का है, उनको प्रतिनिधित्व देना का बिल है. जो पिछले 70 सालों से अपने देश में ही लगातार अन्याय सहते आ रहे हैं. 

बता दें, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा बुधवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक -2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक-2023 पारित हो गए हैं.

वहीं, लोकसभा में बोलते हुए अमित शाह ने कहा, 'विपक्षी दल पिछड़े वर्ग- पिछड़े वर्ग की रट लगाए रखते हैं, लेकिन सच बात ये है कि पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने का काम कांग्रेस ने कभी नहीं किया बल्कि केवल मोदी सरकार ने किया. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर असेंबली में एक सीट पीओके से विस्थापित भारत आए लोगों के लिए रिजर्व की गई है. इस सदस्य को प्रदेश के उपराज्यपाल मनोनीत करेंगे.  

वहीं, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की बात पर अमित शाह ने कहा कि लोग कहते थे कि अगर अनुच्छेद 370 हटाया गया तो खून की नदियां बह जाएंगी. खून की नदियां तो छोड़िएं, वहां पर किसी की अब किसी की पत्थर चलाने की हिम्मत नहीं है. ऐसी व्यवस्था हमने की है .'

इसके अलावा गृह मंत्री ने नेहरू जी की गलतियां बताईं. उन्होंने कहा कि नेहरू से कई बड़ी गलतियां हुई. जब कश्मीर में भारतीय फौजें जीत हासिल करती हुई आगे बढ़ रही थी तो वे युद्धविराम के लिए यूएन में चले गए. इस गलती की वजह से पीओके हमारे देश का हिस्सा बनते बनते रह गया. मेरा मानना है कि युद्धविराम के लिए यूएन में जाना ही नहीं चाहिए था. अगर नेहरू गए भी तो उन्हें यूएन चार्टर की सही धारा के तहत इस मामले को उठाना चाहिए थे. नेहरु सरकार की यह गलती नहीं बल्कि ब्लंडर था, जिसका नुकसान आज तक देश भुगत रहा है. 

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