Himachal Pradesh: हमीरपुर में हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केवल पानी के माध्यम से ही महंगी सब्जियां उगाई जा रही हैं. इस तकनीक से पानी के संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है.
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अरविंदर सिंह/हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश का जिला हमीरपुर जैसे-जैसे शहरीकरण की ओर बढ रहा है वैसे-वैसे यहां जमीन कम होती जा रही है. ऐसे में हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वाहल गांव में आधुनिक तरीके को अपनाकर खेतीबाडी करने वाले किसानों ने सभी को हैरान कर दिया है. हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग के माध्यम से स्वाहल गांव के किसान सुभाष सिंह ने पाली हाउस में महंगी सब्जियां उगाई हैं, जिसे केवल पानी के माध्यम से ही उगाया गया है.
जहां एक ओर हिमुथान सोसाइटी के सहयोग से हो रहे काम के चलते तकनीक से पानी के संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय को दोगुणा करने के प्रयास को साकार करने के लिए हाइड्रोपोनिक्स फार्मिग का प्रशिक्षण देकर किसानों को फायदा पहुंचाया जा रहा है.
पाली हाउस में केवल पानी के जरिए की जा रही खेतीबाडी
किसान सुभाष सिंह ने बताया कि पाली हाउस में केवल पानी के जरिए ही खेतीबाडी की जा रही है. इसके लिए उत्तराखंड में प्रशिक्षण भी लिया गया है, जिसके चलते अब अच्छे ढंग से खेती की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस फसल से अच्छी पैदावार भी हो रही है. इसकी देखभाल के लिए हाईटेक तरीका अपनाया जा रहा है और टाइमर फिक्स किया गया है. इसके साथ ही उन्होंने बाकी किसानों को भी इस तरह की खेती के लिए प्रेरित किया है.
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पालीहाउस में की गई हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग शुरू
हिमुथान सोसाइटी के कृषि विशेषज्ञ रणदीप सिंह ने बताया कि समग्र ग्रामीण परियोजना के तहत सुजानपुर के 12 गांवों में और 8 गांव नादौन ब्लॉक में आधुनिक खेती के लिए किसानों के लिए काम किया जा रहा है. सोसाइटी के द्वारा पशुपालन, शिक्षा, कृषि संबंधी इत्यादि गतिविधियों को लेकर काम भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि स्वाहल गांव में बीते साल पालीहाउस में हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग शुरू की गई थी, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए है.
इससे पहले इन क्षेत्रों में होती थी महंगी सब्जियों की खेती
रणदीप सिंह ने बताया कि इससे पहले एग्जोस्टिक वैजीटेबल लगाने का काम कुल्लू मनाली जैसे ठंडे इलाकों में ही हो रहा था, लेकिन अब महंगी सब्जियों की पैदावार हमीरपुर जैसे गर्म क्षेत्रों में ही होने लगी है. पीएम मोदी के किसानों की आय को दोगुणा करने के प्रयास को साकार करने के लिए हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे किसानों को ज्यादा फायदा हो सके. उन्होंने बताया कि 1 लाख 30 हजार रुपये की लागत से हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग का ढांचा तैयार किया जाता है और पौधे लगाने के लिए अलग से खर्च करना पड़ता है.
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देहरादून से आए विशेषज्ञ गणेश बिष्ट ने बताया कि वह पिछले साल से हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग का काम कर रहे हैं. शहरी इलाकों में कम जगह होने पर कैसे खेती करें इस पर भी काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग के बाद बाजार में उत्पादों को बेचने के लिए भी मदद करने के लिए काम किया जा रहा है. हमीरपुर में पहली बार 500 पौधों का प्लांट लगाया है, जिसमें लैटुएस को उगाया गया है.
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