आतंकवाद और चरमपंथ रोकने के लिए बना प्लान, जानें एससीओ घोषणापत्र की बड़ी बातें

एससीओ की प्रतिबंधित आतंकवादियों, अलगाववादी एवं चरमपंथी संगठनों की सूची बनाने की योजना है. नेताओं ने हर प्रकार के आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के कारण पैदा होने वाले सुरक्षा संबंधी खतरे पर चिंता व्यक्त की और दुनियाभर में आतंकवादी कृत्यों की कड़ी निंदा की.  उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद में वार्षिक शिखर सम्मेलन हुआ. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 17, 2022, 01:55 PM IST
  • सभी घोषित रासायनिक हथियारों के भंडार नष्ट करने के महत्व पर बल
  • अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाने की वकालत की
आतंकवाद और चरमपंथ रोकने के लिए बना प्लान, जानें एससीओ घोषणापत्र की बड़ी बातें

समरकंद: उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 8 सदस्य देशों के नेताओं ने संयुक्त घोषणापत्र जारी किया है. वार्षिक शिखर सम्मेलन के समापन अवसर पर घोषणा पत्र जारी हुआ. इसमें अपने-अपने क्षेत्रों में प्रतिबंधित आतंकवादियों, अलगाववादियों और चरमपंथी संगठनों की एकीकृत सूची तैयार करने की योजना तैयार करने की प्रतिबद्धता जताई गई है. आतंकवादी संगठनों के कारण पैदा होने वाले सुरक्षा खतरों से निपटने की कोशिश के तहत यह किया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एससीओ के सदस्यों देशों के नेताओं ने हर प्रकार के आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के कारण पैदा होने वाले सुरक्षा संबंधी खतरे पर चिंता व्यक्त की और दुनियाभर में आतंकवादी कृत्यों की कड़ी निंदा की. 

क्या है घोषणापत्र में
घोषणापत्र के अनुसार, ‘‘सदस्य देश, आतंकवाद के प्रसार के लिए अनुकूल परिस्थितियों को समाप्त करने के वास्ते सक्रिय कदम उठाते रहने, आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के माध्यमों को काटने, आतंकवादियों की भर्ती की प्रक्रिया और सीमा पार गतिविधियों को रोकने, चरमपंथ का मुकाबला करने, युवाओं को कट्टरपंथी बनने से रोकने, आतंकवादी विचारधारा का प्रसार रोकने और स्लीपर सेल एवं आतंकवादियों के पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले स्थानों को खत्म करने का संकल्प लेते हैं.’’ 

समरकंद घोषणापत्र पर एससीओ के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए. इसमें कहा गया, ‘‘सदस्य देशों के कानूनों और आम सहमति के आधार पर वे साझा सिद्धांत एवं दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास करेंगे ताकि उन आतंकवादियों, अलगाववादियों और चरमपंथी समूहों की एक सूची बनाई जा सके, जिन पर सदस्य देशों में प्रतिबंध है.’’ 

घोषणापत्र की अन्य बड़ी बातें 
सभी घोषित रासायनिक हथियारों के भंडार नष्ट करने के महत्व पर बल दिया.
अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाने की वकालत की जहां तालिबान का शासन है.
एससीओ सदस्य देश ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’ के सतत क्रियान्वयन को महत्वपूर्ण मानते हैं 
अधिक न्यायसंगत एवं प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है.
एससीओ ने एक पारदर्शी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार बनाने और व्यापार में मौजूदा बाधाओं को कम करने का आह्वान किया. 
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को प्रभावशाली बनाए जाने का आह्वान किया. 

विदेश सचिव का बयान
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि इस चुनौती के कारण क्षेत्र और उसके परे भी खतरे को पहचानने में एससीओ के हर सदस्य देश का रुख स्पष्ट है. रासायनिक और जैविक आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए एससीओ के सदस्य देशों ने ‘रासायनिक हथियारों के विकास, उत्पादन, भंडारण और इस्तेमाल निषेध’ प्रस्ताव का पालन करने का आह्वान किया.  एससीओ की शुरुआत 2001 में शंघाई में हुई थी और इसके आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें छह संस्थापक सदस्य चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान इसमें 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए थे. 

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