दो मुस्लिम किरदार, सिख आतंकी...क्या है सलमान रुश्दी के द सैटेनिक वर्सेज उपन्यास की कहानी

Salman Rushdie, The Satanic Verses: मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका के न्यूयॉर्क में हमला किया गया. वह अस्पताल में जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे हैं. उन पर हदी मतार नामक युवक ने हमला किया. हालांकि, उन पर हमला क्यों किया गया, इसे लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई है, लेकिन सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' के लिए उनके खिलाफ ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खमनेई ने मौत की सजा का फतवा जारी किया गया था. आशंका जताई जा रही है कि इसी किताब के चलते उपजी नाराजगी उन पर हमले की वजह बनी है.

Written by - Lalit Mohan Belwal | Last Updated : Aug 13, 2022, 07:03 PM IST
  • इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप
  • उपन्यास के जापानी अनुवादक की हो चुकी है हत्या
दो मुस्लिम किरदार, सिख आतंकी...क्या है सलमान रुश्दी के द सैटेनिक वर्सेज उपन्यास की कहानी

नई दिल्लीः Salman Rushdie, The Satanic Verses: मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका के न्यूयॉर्क में हमला किया गया. वह अस्पताल में जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे हैं. उन पर हदी मतार नामक युवक ने हमला किया. हालांकि, उन पर हमला क्यों किया गया, इसे लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई है, लेकिन सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' के लिए उनके खिलाफ ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खमनेई ने मौत की सजा का फतवा जारी किया गया था. आशंका जताई जा रही है कि इसी किताब के चलते उपजी नाराजगी उन पर हमले की वजह बनी है.

इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप
सलमान रुश्दी पर आरोप था कि उन्होंने साल 1988 में आई अपनी इस किताब में इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचाया है. यही नहीं सलमान रुश्दी की ये किताब भारत, पाकिस्तान और कई अन्य इस्लामिक देशों में प्रतिबंधित है. इसे सबसे पहले भारत में बैन किया गया था.

बताया जाता है कि फरवरी 1989 में सलमान रुश्दी के खिलाफ कई मुस्लिमों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इस पर पुलिस ने कार्रवाई की थी. इसमें 12 लोगों की जान गई थी और 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. 

'सैटेनिक वर्सेज' के जापानी अनुवादक की हो चुकी है हत्या
'द सैटेनिक वर्सेज' के लिए न सिर्फ सलमान रुश्दी को विरोध झेलना पड़ा था, बल्कि इसके किताब के जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की हत्या कर दी गई. यही नहीं इसके इटैलियन अनुवादक और नॉर्वे के प्रकाशक पर भी जानलेवा हमले हुए. सलमान रुश्दी पर भी पहले कई हमले हुए. 

अलकायदा की हिट लिस्ट में थे सलमान रुश्दी
मसलन, अगस्त 1989 में सेंट्रल लंदन के एक होटल में आरडीएक्स धमाका कर सलमान रुश्दी को मारने की कोशिश हुई थी. साल 2006 में हिजबुल्ला प्रमुख ने कहा था कि सलमान रुश्दी ने ईशनिंदा की है. इसका बदला लेने के लिए करोड़ों मुस्लिम तैयार हैं. साल 2010 में सलमान रुश्दी अलकायदा की हिट लिस्ट में शामिल थे. उन्हें इस्लाम का अपमान करने के आरोप में जान से मारने की बात कही गई थी.

क्या है 'द सैटेनिक वर्सेज' की कहानी
आखिर दुनिया में इतने विवादित उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' में सलमान रुश्दी ने ऐसा क्या लिख दिया था कि वो तमाम लोगों की आंखों की किरकिरी बन गए थे. दरअसल, इस उपन्यास का हिंदी अर्थ है 'शैतानी आयतें'. ब्रिटानिका डॉट कॉम के अनुसार, इस किताब में इंग्लैंड में रहने वाले दो भारतीय मुस्लिमों की कहानी कही गई है. जिब्रील फरिश्ता एक सफल फिल्म अभिनेता है, जो हाल ही में मानसिक बीमारी का सामना कर रहा है. वह एक अंग्रेजी पर्वतारोही अल्लेलुइया कोन से प्यार करता है. वहीं, सलादीन चमचा, जो वॉइस ओवर आर्टिस्ट है. उसका अपने पिता के साथ झगड़ा हुआ है. 

दोनों विमान से मुंबई से लंदन जा रहे हैं. इस विमान को सिख आतंकी हाईजैक कर लेते हैं. विमान में आतंकियों के साथ यात्रियों की बहस होती है, तभी बम विस्फोट हो जाता है. विमान अटलांटिक महासागर में गिर जाता है. जिब्रील और सलादीन समुद्र में गिरने के बाद भी बच जाते हैं. इसके बाद जिब्रील को कई सपने आने लगते हैं. इनमें इस्लाम और इसके संस्थापक से जुड़ी बातों का विवरण है. फिर उपन्यास में जिब्रील और सलादीन की कहानी भी आगे बढ़ती है. इनमें ऐसी बातें हैं, जिनको लेकर सलमान रुश्दी पर इस्लाम के अपमान का आरोप लगाया जाता है. 

रुश्दी के उपन्यास से मुस्लिमों में था आक्रोश
उनके ये उपन्यास आने के बाद मुस्लिम काफी नाराज हुए. इसके बाद भारत में इस उपन्यास को प्रतिबंधित किया गया. यह फैसला राजीव गांधी की सरकार के समय किया गया था. अभी सलमान रुश्दी पर हुए हमले के बाद राजीव गांधी सरकार में मंत्र रहे के. नटवर सिंह ने बैन के फैसले का बचाव किया. 

'कानून-व्यवस्था के मद्देनजर किताब को किया गया बैन'
नटवर सिंह ने शनिवार को कहा कि यह फैसला ‘पूरी तरह ’ से कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया था. वह पुस्तक को प्रतिबंधित करने संबंधी फैसले में शामिल थे और उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री से कहा था कि यह किताब कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है, क्योंकि लोग आक्रोशित हैं. उन्होंने आलोचकों के उन आरोपों को ‘बकवास’ करार दिया, जिसमें कहा गया कि राजीव गांधी सरकार ने किताब को प्रतिबंधित करने का फैसला मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते लिया था.

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