नई दिल्लीः महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को अंतिम विदाई देते हुए उनके ताबूत को विंडसर कैसल स्थित सेंट जॉर्ज चैपल के शाही ‘वॉल्ट’ (शव कक्ष) में नीचे रख दिया गया. ब्रिटिश शाही परिवार में सर्वाधिक वरिष्ठ अधिकारी लॉर्ड चैम्बरलैन ने ‘राजदंड’ तोड़ने की रस्म पूरी की.
शाही परिवार और सैकड़ों की संख्या में लोगों ने दिवंगत महारानी को अंतिम विदाई दी. ब्रिटेन की घरेलू गुप्तचर सेवा एम15 के पूर्व प्रमुख एंड्रयू पार्कर ने सफेद राजदंड को तोड़ने की रस्म पूरी की और इसे महारानी के ताबूत पर रख दिया. यह रस्म राजशाही के प्रति उनकी सेवाओं की समाप्ति का प्रतीक है.
'महारानी से मिली भविष्य का सामना करने की ताकत'
इससे पहले विंडसर के डीन डेविड कोन्नर ने महारानी को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने महारानी को अंतिम विदाई देने के लिए जुटे 800 लोगों को उनकी ईसाई धर्म के प्रति आस्था के बारे में बताया. उन्होंने कहा, ‘हमारी तेजी से बदलती और अक्सर संकट में घिरती दुनिया में उनकी शांत एवं गरिमापूर्ण उपस्थिति से हमें उनकी ही तरह साहस और उम्मीद के साथ भविष्य का सामना करने की ताकत मिली.’
प्रवासी भारतीय भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए
महारानी के राजकीय अंतिम संस्कार में ब्रिटेन में रहने वाले प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्य भी शामिल हुए. काउंसलर प्रणव भनोत को दक्षिण पूर्व इंग्लैंड के एसेक्स में सामुदायिक सेवा करने के लिए इस साल के शुरू में ‘मेम्बर ऑफ ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्यार’ से नवाजा गया था.
उन्होंने कहा 'मुझे खुशी और दुख की अनुभूति हो रही है. एक ओर यह निमंत्रण पाकर मैं खुद को सौभाग्यशाली मान रहा हूं, दूसरी और यह मौका गम का है.'
'काफी प्रेरणादायक थी महारानी की प्रतिबद्धता'
भनोत ने कहा, 'महारानी मेरे जीवन में नानी, दादी की तरह थी. कर्तव्य और सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता काफी प्रेरणादायक थी.' भनोत इस साल जून में महारानी के जन्मदिन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के लिए निमंत्रित किए गए करीब 200 मेहमानों में शामिल थे. वह महारानी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए निमंत्रण पाने वाले 2000 लोगों में शामिल हैं.
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