पाकिस्तान में कैसे आतंकवाद हो रहा बेलगाम? फंडिंग की कमी बनी देश के लिए सिरदर्द

पाकिस्तान में फंडिंग की कमी से आतंकवाद विरोधी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. महंगाई के चलते देश में आतंकवाद-विरोधी अभियान के लिए सैन्य प्रतिष्ठान की क्षमता को भी प्रभावित किया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 26, 2023, 04:35 PM IST
पाकिस्तान में कैसे आतंकवाद हो रहा बेलगाम? फंडिंग की कमी बनी देश के लिए सिरदर्द

नई दिल्ली: पाकिस्तान की निराशाजनक आर्थिक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (ओएमएफ) की मांगों को पूरा करने के लिए उसका संघर्ष -- कर लगाना, महंगाई की बढ़ती दर और पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों ने न केवल शहबाज शरीफ की अगुआई वाली सरकार को मजबूर किया है, बल्कि आतंकवाद-विरोधी अभियान के लिए सैन्य प्रतिष्ठान की क्षमता को भी प्रभावित किया है.

पाकिस्तान में आर्थिक संकट ने बढ़ाई मुसीबत
गंभीर आर्थिक संकट को देखते हुए देश के सैन्य प्रतिष्ठान को सरकार ने एक योजना बनाने के लिए कहा है कि कैसे वे अपने गैर-लड़ाकू खर्च में कटौती कर सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि, जहां आतंकवाद और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे समूह और देश के विभिन्न हिस्सों में समन्वित हमले जारी हैं, वहीं सैन्य प्रतिष्ठान आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू करने की स्थिति में नहीं है. इसके लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं दी गई है.

यह कहना भी गलत नहीं होगा कि देश के विभिन्न हिस्सों में फिर से संगठित हो रहे आतंकवादी समूहों को भी पता है कि उनके पास एडवांटेज है क्योंकि सैन्य प्रतिष्ठान खुद को आईबीओ (इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशंस) तक ही सीमित रख सकते हैं. देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि सैन्य प्रतिष्ठान के लिए सैन्य आक्रमण शुरू करना संभव नहीं हो सकता.

वरिष्ठ विश्लेषक जावेद सिद्दीकी ने कहा, पाकिस्तान की सशस्त्र सेना और इसकी खुफिया एजेंसियां देश की वित्तीय स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं और वे खुद को 'जर्ब-ए-अज्ब' और 'रदुल फसाद' जैसे ऑपरेशन शुरू करने की स्थिति में नहीं हैं.

आतंकवाद-विरोधी अभियान के रास्ते में बाधा
पाकिस्तान की वित्तीय समस्याएं सशस्त्र बलों, पड़ोसी अफगानिस्तान और वहां तालिबान शासन के साथ-साथ पाकिस्तानी तालिबान के आतंकवाद-विरोधी अभियान के रास्ते में बाधा डालती हैं. ऐसे में आतंकवादी समूह एक दूसरे के समर्थन जारी रख सकते हैं. सिद्दीकी ने कहा कि देश की इस कमजोर वित्तीय स्थिति का आतंकी समूब पूरा फायदा उठा सकते हैं.

हालांकि, अन्य सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि देश में आतंकवाद के पुनरुत्थान के लिए पूरी तरह से आक्रामक होने की आवश्यकता नहीं है और छोटे पैमाने पर संचालन के माध्यम से इससे निपटा जा सकता है क्योंकि आतंकवादी समूह अभी तक पाकिस्तान के अंदर खुद को स्थापित नहीं कर पाए हैं और विभिन्न स्लीपर सेल का उपयोग कर रहे हैं.

चल रहे सैन्य अभियानों की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, पाकिस्तान के सशस्त्र बलों ने आतंकवादी हमले के कई प्रयासों को नाकाम कर दिया है. आईबीओ (खुफिया आधारित ऑपरेशन) के माध्यम से सैकड़ों टीटीपी आतंकवादियों को पकड़ा है और आने वाले दिनों में भी ऐसा करना जारी रखेंगे.

उन्होंने आगे कहा, 'हम अपनी सीमाओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं और यह भी जानते हैं कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति सामान्य नहीं है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन वित्तीय कमियों से आतंकवाद को पनपने नहीं देना चाहिए और सशस्त्र बल यह सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ कर रहे हैं कि आतंकवादी पाकिस्तानी धरती पर ना पनपे.'

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