नई दिल्ली: फ्रांस (France) को लेकर मुस्लिम देशों (Islamic countries) के रवैये से एक नए संघर्ष (Third world war) का आगाज होने की आशंका है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रों (emmanuel macron) ने कट्टरपंथी इस्लाम (Islamic terrorism) के कारण पैदा हुए संकट की तरफ इशारा किया तो दुनिया भर के मुसलमानों ने एक सुर में मैक्रों को निशाना बनाना शुरु कर दिया. यहां तक कि भारत में भी रजा एकेडमी जैसे कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने मैक्रों के खिलाफ फतवा जारी कर दिया.
अपने कुकर्मों की तरफ से आंख मूंदकर दुनिया भर के मजहबी कट्टरपंथी जिस तरह मैक्रां के खिलाफ मोर्चा बांध रहे हैं. उससे भविष्य में ईसाईयत और इस्लाम के बीच फिर से आठवां क्रूसेड शुरु होने की आशंका है. मशहूर भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस ने इसकी तरफ इशारा भी किया है.
क्या है नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी
दुनिया के महान भविष्यवक्ता मिशेल द नास्त्रेदमस ने तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत की तरफ संकेत देते हुए अपनी मशहूर किताब सेंचुरीज में लिखा है कि ''युद्ध तब शुरू होगा जब ऊंट राइन और डेन्यूब का पानी पीएगा और इससे पछताएगा नहीं. और फिर रोना और लॉरा थरथराएंगे. लेकिन आल्प्स में मुर्गा उसे नष्ट कर देगा.''
नास्त्रेदमस की ये भविष्यवाणी तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत मानी जाती है. जिसमें ऊंट मुस्लिम देशों का प्रतिनिधित्व करता है. जो कि यूरोपीय देशों में भारी कहर बरपाएगा. शुरुआत में ईसाई देशों की हार होगी. लेकिन बाद में इस्लामी सेना का विनाश कर दिया जाएगा.
नास्त्रेदमस की इस भविष्यवाणी की विशद व्याख्या की गई है. जिस पर कई किताबें भी लिखी गई हैं. जिसमें से बेस्टसेलर बुक का नाम है. नास्त्रेदमस और यूरोप पर इस्लामी आक्रमण (Nostradamus and Islamic invasion on europe).
इस किताब में विस्तार से बताया गया है कि कैसे यूरोप के सभ्य देश लगातार इस्लामी कट्टरपंथियों के बर्बर आक्रमण के शिकार बन रहे हैं. जो कि आने वाले भविष्य में बड़े संघर्ष का कारण बन सकता है.
यूरोप पर इस्लामी आक्रमण
आक्रमण शब्द सुनते ही आप चौंकिएगा नहीं. क्योंकि यूरोप में होने वाला इस्लामी आक्रमण किसी आक्रामक तरीके से नहीं बल्कि बेहद शांति से शातिर चाल के तहत हो रहा है. यूरोपीय देशों में मुस्लिम कट्टरपंथी शरणार्थी के भेस में पहुंच रहे हैं. जिसके बाद ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करके वहां अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं और पूरे देश को अपनी शरिया के मुताबिक बदलने की कोशिश में जुटे हैं. यह एक तरह के यूरोपीय देशों पर कब्जे की साजिश है.
हालत ये है कि
- फ्रांस में इस समय यूरोप में सबसे ज़्यादा मुसलमान 65 लाख मुसलमान हो चुके हैं. जो कि वहां की जनसंख्या का 7.5 फीसदी हैं.
- जर्मनी में मुसलमानों की संख्या 52 लाख है. जो वहां की आबादी का 5 फ़ीसदी हैं.
-ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी 38 लाख है जो कि वहां की आबादी का 5 फ़ीसदी हैं.
इसके अलावा स्विट्जरलैण्ड, नीदरलैण्ड, ऑस्ट्रिया, हंगरी जैसे यूरोपीय देशों में भी शरणार्थियों के रुप में आए मुस्लिमों ने अपनी संख्या बढ़ानी शुरु कर दी है.
जिसके नतीजे में वहां प्रतिक्रिया हो रही है. इन देशों की जनता ने ऐसे नेताओं को चुनना शुरु कर दिया है. जो उन्हें मुस्लिम कट्टरपंथियों से निजात दिलाने का वादा कर रहे हैं. एक तरफ कट्टरपंथी मानने के लिए तैयार नहीं हैं. दूसरी तरफ यूरोपीय देशों की जनता गोलबंद होने लगी है. ऐसे में संघर्ष अवश्यंभावी दिख रहा है.
कट्टरपंथियों से सबसे ज्यादा मुश्किल में फ्रांस
यूरोप के सबसे अभिजात्य माने जाने वाले देश फ्रांस में सबसे ज्यादा संघर्ष की स्थिति बनती हुई दिखाई दे रही है. यहां मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा है. जिसकी वजह से मुश्किल भी सबसे ज्यादा है. फ्रांस में पिछले कई दशकों से कई आतंकवादी हमले हो चुके हैं. मुस्लिम शरणार्थियों और कट्टरपंथी आतंकियों ने पेरिस में कई बार, नीस, लेस लिस, ला डिफेंस, जो ले टूर्स, सेंट क्वेंटिन फलावियर, थेलीज, वैलेंस, मैगनविल, लेवालेइ पैरे, मर्साई, करकासोन, स्ट्रैसबर्ग, ल्योन आदि शहरों को अपने आतंक का निशाना बनाया है.
ताजा हमला फिर से नीस शहर में हुआ है. जहां चर्च के बाहर चाकूबाजी की घटना हुई है. जिसमें तीन लोगों की मौत की खबर है. जबकि कई लोग घायल हो गए हैं.
#Nice, #France pic.twitter.com/EveOFIDD2O
— (@MarioLeb79) October 29, 2020
फ्रांस में शरणार्थियों ने सबसे पहले यहूदी समुदाय के खिलाफ हिंसा की शुरुआत की.
पेरिस के सारसेल्स जैसे ग़रीब उपनगरीय इलाक़ों में, जहां यहूदी और मुसलमान साथ-साथ रहते हैं, वहां यहूदियों और उनके उपासनास्थलों पर हमले तेज़ होते गए. इस्लामी कट्टरपंथियों के हाथों कई यहूदियों की मौत के बाद यहूदी समाज का बड़ा तबक़ा फ्रांस छोड़कर इसराइल और दूसरे देशों में बसने लगा.
शार्ली एब्दो के कार्टूनिस्टों पर हमले के बाद फ्रांस का सब्र खत्म हुआ
यहूदियों पर अपनी दहशत कायम करने के बाद मुस्लिम कट्टरपंथियों ने फ्रांस के आम नागरिकों को निशाना बनाना शुरु किया. जिसके तहत 2015 में शार्ली एब्दो पत्रिका के दर्जन भर कार्टूनिस्टों की निर्मम हत्या कर दी गई. कुछ ही दिन पहले एक स्कूल टीचर को एक चित्र दिखाने की वजह से चाकू से मार डाला गया. गुरुवार को चर्च पर हमले की खबर आई.
इस तरह की घटनाओं ने फ्रांस का सब्र खत्म कर दिया है. वह इस तरह की घटनाओं के खिलाफ कड़े कानून बनाने की तैयारी में है.
राष्ट्रपति मैक्रों ने इस महीने की शुरुआत में शिक्षक की हत्या से पहले ही फ्रांस में "इस्लामिक अलगाववाद" से निपटने के लिए कड़े क़ानून बनाने की घोषणा की थी. फ्रांस ने कट्टरपंथियों के सामने झुकने से इनकार करते हुए वह सभी विवादित कार्टून दिखाने शुरु कर दिए. जिनपर मुस्लिम कट्टरपंथियों को आपत्ति है.
France response to Islamic Terrorism : #CharlieHebdo cartoons projected onto Government building pic.twitter.com/0GeNiVirpU
— The International Herald (@TheIntlHerald) October 22, 2020
कई और देशों ने फ्रांस के साथ एकता दिखाते हुए चार्ली एब्दो के कार्टूनों का सार्वजनिक प्रदर्शन शुरु किया है.
The Maldives National Defence Force projects #CharlieHebdo cartoons on their large projector screen/wall in #Solidarity of slain professor by an Islamic extremist. #JeSuisSamuel #France #jesuisprof pic.twitter.com/cTJN2Eo7Ad
— Muju 5.1 (@mujunaeem) October 27, 2020
फ्रांस अब टकराव को टालना नहीं सकता. वहां की जनता में मुस्लिम कट्टरपंथियों के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है. फ्रांस के राष्ट्रपति ज्यादा दिनों तक जनभावना को दबाकर नहीं रख सकते.
बेहद ताकतवर है फ्रांस
फ्रांस दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी और आधुनिक सैन्य ताकत है. उसका रक्षा बजट लगभग 35 अरब डॉलर का है. वह राफेल जैसे अत्याधुनिक विमान बनाता है. उसके पास 2 लाख से ज्यादा प्रशिक्षित सैन्य बल हैं.
किसी भी मुस्लिम देश के पास फ्रांस का अकेले सामने करने की ताकत नहीं है. उसपर से फ्रांस का पक्ष नैतिक रुप से मजबूत है. उसने किसी पर हमला नहीं किया बल्कि उसका हर कदम अपने बचाव के लिए है. जिसके कारण भारत ने भी फ्रांस का समर्थन किया है.
मुस्लिम कट्टरपंथियों के खिलाफ फ्रांस के राष्ट्रपति के स्टैण्ड का समर्थन करते हुए भारतीय विदेश मंत्राल ने बयान जारी किया है कि "अंतरराष्ट्रीय वाद-विवाद के सबसे बुनियादी मानकों के उल्लंघन के मामले में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के ख़िलाफ़ अस्वीकार्य भाषा में व्यक्तिगत हमलों की हम निंदा करते हैं. हम साथ ही भयानक तरीक़े से क्रूर आतंकवादी हमले में फ़्रांसीसी शिक्षक की जान लिए जाने की भी निंदा करते हैं. हम उनके परिवार और फ्रांस के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं. किसी भी कारण से या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद के समर्थन का कोई औचित्य नहीं है."
पूरी यूरोपियन यूनियन और अमेरिका के साथ दुनिया के सभी सभ्य देश फ्रांस के साथ खड़े हैं. क्योंकि मुस्लिम कट्टरपंथी सभी सभ्य देशों की समस्या का कारण हैं. खास बात ये है कि मुस्लिम देश अपने यहां किसी तरह के शरणार्थियों का स्वागत नहीं करते. सीरिया, घाना, लेबनान, इराक जैसे मुस्लिम देशों के शरणार्थी हजारों किलोमीटर दूर यूरोपीय देशों में शरण लेने पहुंच जाते हैं. लेकिन अपने नजदीक के सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्की जैसे देशों की तरफ रुख भी नहीं करते. क्योंकि वे जानते हैं कि ये मुस्लिम देश भले ही जितना हंगामा मचाएं. लेकिन शरण उन्हें मानवीय कानूनों का पालन करने वाले यूरोपीय देशों में ही मिलेगी.
ये मुस्लिम शरणार्थियों के साथ वेश बदलकर कट्टरपंथी और आतंकी भी बड़ी संख्या में यूरोपीय देशों में पहुंच चुके हैं. जो समस्या का कारण बन रहे हैं.
नास्त्रेदमस के अलावा बाबा वेंगा ने भी की है युद्ध की भविष्यवाणी
बुल्गारिया की नेत्रहीन महिला भविष्यवक्ता बाबा वेंगा ने भी यूरोप में मुस्लिम ईसाई संघर्ष के बारे में स्पष्ट रुप से भविष्यवाणी की है. उन्होंने कहा है कि ''दुनियाभर में 'ग्रेट मुस्लिम वार' की शुरुआत होगी. यह जंग अरब की धरती से शुरू होगी. इसके बाद सीरिया और फिर यूरोप में लड़ी जाएगी और 2043 तक चलेगी.
खास बात ये है कि बाबा वेंगा का साल 1996 में 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था. उन्होंने अमेरिका में हुए 9/11 हमले और 2004 में आई सुनामी के बारे में वर्षों पहले भविष्यवाणी कर दी थी.
नास्त्रेदमस और बाबा वेंगा के अलावा भी कई इस्लामी और गैर-इस्लामी भविष्यवेत्ताओं के मुताबिक इस्लामी कैलेंडर यानी हिजरी की 14 वीं शताब्दी में इस्लाम को एक बड़े संघर्ष और बदलाव से गुजरना होगा. जिसके बाद मूल इस्लाम में बहुत से बदलाव होंगे. जिसकी वजह से इस्लाम का वर्तमान स्वरुप बदल जाएगा.
यूरोपीय देशों सहित पूरी दुनिया में इस्लाम और दूसरे धर्मों के संघर्ष को देखकर ऐसा लगता है कि इन भविष्यवाणियों के सही होने का समय नजदीक आ गया है. क्योंकि पूरी दुनिया मुस्लिम और गैर मुस्लिम दो खेमों में बंटती जा रही है. भारत भी इसका अपवाद नहीं है.
भारत के लिए बेहतर ये है कि सभी भविष्यवक्ताओं ने उसके उज्जवल भविष्य के बारे में संकेत दिया है. देखिए कुछ अंश-
'सागरों के नाम वाला धर्म चांद पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा और उसे भयभीत कर देंगे, 'ए' तथा 'ए' से घायल दो लोग।' (x-96)- नास्त्रेदमस
'लाल के खिलाफ एकजुट होंगे लोग, लेकिन साजिश और धोखे को नाकाम कर दिया जाएगा.'
'पूरब का वह नेता अपने देश को छोड़कर आएगा, पार करता हुआ इटली के पहाड़ों को और फ्रांस को देखेगा. वह वायु, जल और बर्फ से ऊपर जाकर सभी पर अपने दंड का प्रहार करेगा.'
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